आईसीडीएस कर्मचारी कर रहे संघर्ष
परिवार के भरण-पोषण में हो रही समस्या
हुब्बल्ली. महिला एवं बाल विकास विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के कर्मचारी तीन महीने से बिना भुगतान के संघर्ष कर रहे हैं।
कर्मचारियों ने कहना है कि पर्यवेक्षिकाओं, एफडीए, एसडीए और अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। बिना वेतन के परिवार का भरण-पोषण करना, मकान का किराया और ऋण की किश्तें चुकाने में समस्या हो रही है।
कोई प्रतिक्रिया नहीं
सीडीपीओ कार्यालय की एक पर्यवेक्षक ने बताया कि उन्होंने वेतन के आधार पर बैंक से ऋण लिया है। तीन महीने से लोन की किस्त नहीं चुकाई है। किस्त चुकाने के लिए कर्ज लिया है। परिवार के भरण-पोषण के लिए वेतन पर ही निर्भर हैं। लंबित वेतन के बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है परन्तु कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
6 फरवरी को बेंगलूरु में आंदोलन
कर्नाटक राज्य संयुक्त आंगनवाड़ी कर्मचारी संगठन की जिला समन्वयक भुवना बेल्लारी ने बताया कि सरकार ने बजट नहीं है कहकर वेतन नहीं दिया है। कर्मचारी बिना वेतन के परेशान हैं। पांच गारंटी कार्यक्रम के कार्यान्वयन के साथ-साथ आईसीडीएस कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी समय पर करना चाहिए। सरकार ने आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को 15,000 रुपए देने का वादा किया था परन्तु इसे लागू करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। हमने 6 फरवरी को बेंगलूरु में आंदोलन करने का फैसला किया है।
तीन महीने से अनुदान जारी नहीं हुआ
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आईसीडीएस के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से 60:40 के अनुपात में अनुदान जारी किया जाता है। राज्य के लगभग सभी जिलों में इन कर्मचारियों को तीन महीने से अनुदान जारी नहीं होने से वेतन लंबित है।