संस्कृत भारती ने मनाया "विश्व संस्कृत" दिवसहुब्बल्ली के विजय नगर स्थित केंपण्णवर कल्याण मंड़प में ‘संस्कृत भारती’ की ओर से आयोजित विश्व संस्कृत दिवस कार्यक्रम में भाग लेते अतिथि।

संस्कृत भाषा काव्यात्मक एवं वैज्ञानिक है

हुब्बल्ली. शहर के विजय नगर स्थित केंपण्णवर कल्याण मंड़प में ‘संस्कृत भारती’ की ओर से विश्व संस्कृत दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भव्य शोभायात्रा से हुआ, जिसमें हुब्बल्ली संस्कृत भारती बाल केंद्र (बच्चों का केंद्र) के बच्चे, अभिभावक, संस्कृत शिक्षक-शिक्षिकाएं, विद्यार्थी और अनेक संस्कृत प्रेमी घोषणाएं करते, संस्कृत गीत गाते और नृत्य करते उत्साहपूर्वक शामिल हुए थे।

मुख्य मंच पर विभिन्न बाल केंद्रों के बच्चों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय, बेंगलूरु के प्रथम कुलसचिव (सेवानिवृत्त) मुख्य वक्ता डॉ. चंद्रमौली शिवशंकरप्पा नायक ने ‘शिवसंहिता’ काव्य के आधार पर कहा कि संस्कृत भाषा काव्यात्मक एवं वैज्ञानिक है।

उन्होंने कहा कि सरकार संस्कृत जागरूकता के लिए कई प्रयास कर रही है, और इस भाषा को सीखने से बच्चों और नागरिकों में श्रेष्ठ संस्कृति एवं संबंध विकसित होते हैं। इसलिए संस्कृत को सभी विद्यालयों में अनिवार्य भाषा बनाना चाहिए।

स्वर्ण समूह संस्थान के प्रबंध निदेशक एवं बसव पुरस्कार से सम्मानित डॉ. वी.एस.वी. प्रसाद ने कहा कि संस्कृत देवभाषा है, हमारे सभी श्लोक और मंत्र इसी भाषा में रचे गए हैं। संस्कृत का अध्ययन इनका अर्थ समझने में मदद करता है, इसलिए इसका अध्ययन अनिवार्य है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हमारे पास हमारी संस्कृति को ऊंचाई देने वाला प्रधानमंत्री है, तब संस्कृत न सीखना दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी भी भाषा, जाति या धर्म के लोग हों, सभी की भाषा संस्कृत होनी चाहिए, और संस्कृत भारती को इसे देश की पहली भाषा बनाने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करना चाहिए। वे संगठन के साथ जुड़ेंगे और सहयोग देंगे।

उद्योगपति एवं मोटिवेशनल ट्रेनर तथा ‘संस्कृत भारती’ हुब्बल्ली के अध्यक्ष राजशेखर पाटील ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कर कहा कि महाविद्यालयों, आईआईटी और जीआईटी संस्थानों में भी संस्कृत पढ़ाई जा रही है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली की मदद से संस्कृत भारती के कई प्रकल्प चल रहे हैं, जिनमें श्लोक पाठन का नया प्रकल्प भी है, जिसका उद्देश्य श्लोकों के माध्यम से संस्कृत, संस्कृति और संस्कार को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है।

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