कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन तेज
55 वर्षों से सेवा दे रहा अस्पताल बंदी की कगार पर
करोड़ों की सुविधाएं पड़ीं बेकार
दांडेली (उत्तर कन्नड़). दांडेली के एकमात्र कार्मिक बीमा (ईएसआई) अस्पताल को बंद करने की तैयारी और कर्मचारियों के अन्यत्र स्थानांतरण के विरोध में स्थानीय सामाजिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। 1969 में स्थापित यह अस्पताल आज भी 20,000 से अधिक ईएसआई कार्डधारी परिवारों की स्वास्थ्य सेवा का प्रमुख केंद्र है।
सेवाएं बाधित, सुविधाएं अनुपयोगी
दांडेली तालुक समग्र विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष अकरम खान और सचिव राघवेंद्र गडेप्पनवर ने आरोप लगाया कि हाल ही में अस्पताल के विधिक चिकित्सकों और कर्मचारियों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। अब केवल एक चिकित्सक कार्यरत है, और अधिकांश रोगियों को धारवाड़ अस्पताल भेजने की सिफारिश की जा रही है।
उपेक्षा का शिकार अस्पताल में मौजूद सुविधाएं
एक्स-रे मशीन दो वर्षों से अनुपयोगी पड़ी है। 50 लाख रुपए की नई एम्बुलेंस शेड में खड़ी है, लेकिन बीमा न होने या चालक की अनुपलब्धता के कारण उपयोग नहीं हो रही।
दांडेली तालुक समग्र विकास संघर्ष समितियों का कहना है कि कुछ अधिकारी स्वार्थवश अस्पताल को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अस्पताल वर्षों से कार्मिक परिवारों की सेवा करता आया है। इसे बंद करने से हजारों लोगों के स्वास्थ्य अधिकारों का हनन होगा।
दांडेली का ईएसआई अस्पताल केवल एक स्वास्थ्य केंद्र नहीं, बल्कि हजारों श्रमिक परिवारों की जीवनरेखा है। यदि प्रशासन ने शीघ्र कदम नहीं उठाए, तो यह बंदी न केवल चिकित्सा संकट को जन्म देगी, बल्कि सामाजिक असंतोष भी बढ़ा सकती है।
जनप्रतिनिधियों से अपील
स्थानीय विधायक और श्रम मंत्री से मांग की गई है कि अस्पताल में तत्काल चिकित्सक और कर्मचारी नियुक्त करने चाहिए। उपकरणों और एम्बुलेंस का उपयोग सुनिश्चित किया जाए। अस्पताल को पुन: पूर्ण क्षमता से चालू करना चाहिए।
