हुब्बल्ली-धारवाड़:
हुब्बल्ली. केंद्र सरकार के ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2025’ में हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम को राष्ट्रीय स्तर पर 34वां स्थान और राज्य में दूसरा स्थान मिला है। यह घोषणा सोशल मीडिया पर लोगों के तीखे तानों और टिप्पणियों का शिकार बन गई है।
शहर में हर ओर कचरे के ढेर, गंदगी, अतिक्रमण, और अधूरी फ्लाईओवर परियोजनाएं लोगों को परेशान कर रही हैं। पैदल रास्तों (फुटपाथ) तक को दुकानों ने घेर लिया है। नालियों से बदबू आ रही है। ऐसे में नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि नगर निगम को यह स्वच्छ शहर का दर्जा किस मानदंड पर मिला है?
“छोटा मुंबई हुब्बल्ली” नाम के फेसबुक पेज पर नगर निगम की ओर से जारी स्वच्छता में अव्वल जुड़वां शहर को दूसरा स्थान पोस्टर साझा किया गया है, जिसमें गड्ढों वाली सडक़ों की तस्वीरें जोड़ी गई हैं। लगभग 40 लोगों ने इस पर कटाक्ष और व्यंग्य भरी टिप्पणियां की हैं।
कुछ प्रतिक्रियाएं
वी कम्मार ने निंदा की है कि “बेलगावी, उडुपी, शिवमोग्गा जैसे शहरों को देखने पर हुब्बल्ली आज भी किसी गांव जैसा ही है। हो सकता है कि सर्वे करने वालों को सावजी होटल में मटन खिलाया होगा। या यह दशहरे के समय में दिए जाने वाले राज्य उपहार स्वरूप दिया गया पुरस्कार हुआ है। सर्वे करने वालों का दुर्गदबैल में हार पहनाकर सम्मान करना चाहिए।
बसवराज गौडर ने खिंचाई की है कि जिन्हें स्वच्छ बनाने की जरूरत है उन शहरों में दूसरा शहर होना सकता है।
शंकर हिरेमठ ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि यह तो ‘जोक ऑफ द ईयर’ है।
कुछ लोगों ने नाराजगी जताई है कि फुटपाथ नहीं हैं, नालियों से बदबू आती है, जनप्रतिनिधियों को शर्म आनी चाहिए। धूल और गड्ढों से भरी सडक़ों वाला शहर इतना अच्छा स्थान कैसे पा सकता है?
इंस्टाग्राम पर प्रतिक्रिया
एक यूजर ने महानगर निगम के इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा है कि “जिस गांव में शौचालय नहीं है उसे कैसे स्वच्छ गांव का दर्जा दिया गया? तुम्हारे खिलाफ झूठ फैलाने का केस होना चाहिए।
एक अन्य यूजर ने लिखा है कि शायद सर्वे वाले एयरप्लेन से आकर सिर्फ एयरपोर्ट देखकर लौट गए होंगे। अगर गलियों में घूमते, तो शहर की असली हालत समझ में आ जाती कि कितना स्वच्छ है।
पिछले साल 87वां स्थान था
हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम ने 3 लाख से 10 लाख जनसंख्या वाले देश के 101 शहरों में 34वां स्थान और राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। 2024 में यह जुड़वां शहर 87वें स्थान पर था।