हुब्बल्ली. पिछले 8 वर्षों से शहर के युवा, विशेष रूप से 16 से 50 वर्ष आयु वर्ग श्रावकों की ओर से शाश्वत तीर्थ शत्रुंजय गिरिराज पालीताना में गिरि सेवा की परंपरा निभाई जा रही है।
इस वर्ष, 26 से 28 जून तक 3 दिवसीय सेवा कार्यक्रम में हुब्बल्ली से 90 श्रावकों ने भाग लिया था। प्रतिदिन लगभग 3500 सीढिय़ां चढक़र गिरिराज की चोटी पर पहुंचे और वहां पारमात्माओं की सेवा में संलग्न हुए। गिरिराज पर्वत पर लगभग 18,000 पारमात्मा विराजमान हैं। यहां के पूज्य पुजारी के साथ मिलकर ये सभी श्राध्दालु गिरिराज का शुद्धिकरण, पूजन, दर्शन आदि किया।
भारत में यह ‘गिरि सेवा’ पिछले 13 वर्षों से आनंद कल्याण पेढ़ी के आदेशानुसार चलाई जा रही है, जिसमें देशभर के छोटे-बड़े शहरों से हजारों युवा जुड़ते हैं। यह सेवा वर्ष में 8 माह तक संचालित होती है। चातुर्मास के 4 महीनों में सेवा नहीं होती, और श्रद्धालु भी इस दौरान गिरिराज की यात्रा नहीं करते।
जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि जो भी इस पवित्र गिरिराज का स्पर्श करता है, उसकी आत्मा भव्य बनती है और मोक्षगामी होती है। 29 जून को सभी सहभागी श्रावक सेवा संपन्न कर हुब्बल्ली लौट आए हैं। इस गिरि सेवा से न केवल कर्म निर्जरा होती है, बल्कि श्रावकों में उत्तम संस्कार, अनुशासन और परमात्मा के प्रति अटूट श्रद्धा का विकास भी होता है।
इस पुनीत कार्य का आयोजन हुब्बल्ली के उद्योगपति रोहित भंडारी पिछले 8 वर्षों से निरंतर करते आ रहे हैं।