जागरूकता कार्यशालाएं भी नहीं हो रही हैं
हुब्बल्ली. राज्य के सभी सरकारी और अनुदानित स्कूलों में लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने वाली शुचि योजना चार साल से रुकी हुई है। जो लड़कियां सैनिटरी नैपकिन नहीं खरीद सकतीं, वे मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई के लिए कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। उन्हें चिंता है कि इससे त्वचा रोग और मूत्र रोग हो सकता है।
मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने और सैनिटरी नैपकिन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 2013-14 में शुरू की गई शुचि योजना को कोविड के दौरान रोक दिया गया था। इतना ही नहीं, स्कूलों में मासिक धर्म और स्वच्छता से संबंधित कोई जागरूकता कार्यशालाएं भी नहीं हो रही हैं।
सिर्फ 20.10 लाख रुपए अनुदान मिला
राज्य सरकार ने शुचि योजना के लिए 45.5 करोड़ रुपए का अनुदान निर्धारित किया है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय युवा स्वास्थ्य योजना को नहीं अपनाया है। केंद्र की राष्ट्रीय किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत मासिक धर्म स्वच्छता योजना के अध्ययन के लिए 5 साल में सिर्फ 20.10 लाख रुपए अनुदान मिला है।
हमने खुद सेनेटरी नैपकिन लाकर स्कूलों में रखवाए हैं
गदग जिले की एक सरकारी हाई स्कूल शिक्षिका ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान 2 से 3 दिन तक क्लास अटेंड करने में छात्राएं झिझकती हैं। हमने खुद सेनेटरी नैपकिन लाकर स्कूलों में रखवाए हैं, ताकि गरीब छात्राएं कपड़े का इस्तेमाल कर परेशानी न खड़ी करें। जब भी छात्राओं को इसकी आवश्यकता होती है, हम इसे देते हैं।
अच्छी गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराएं
धारवाड़़ जिले कीएक शिक्षिका ने बताया कि कुछ मामलों में, अतीत में घटिया सैनिटरी नैपकिन वितरित किए गए थे। इनके लंबे समय तक इस्तेमाल से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इसे छात्राओं में बांटे करने में भय लगता था। अगर सरकार अच्छी गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराती है तो इससे सुविधा होगी।
जल्द ही स्कूलों तक पहुंचाया जाएगा
सेनेटरी नैपकिन को लेकर तीन बार टेंडर निकाला गया लेकिन फाइनल नहीं हो सका। अब चार श्रेणियों में तीन संस्थाओं को टेंडर दिए गए हैं। बेंगूरु और बेलगावी संभाग में एम.डी. हाइजीन, कलबुर्गी संभाग में सुशील यार्न और मैसूर संभाग में श्रीराध्या हाइजीन प्राइवेट लिमिटेड को निविदाएं दी गई हैं। कुल 19 लाख छात्राओं के लाभार्थी होने की उम्मीद है। प्रति विद्यार्थी 10 नैपकिन के 8 पैकेट वितरित किए जाएंगे। यह पैकिंग चरण में है और जल्द ही स्कूलों तक पहुंचाया जाएगा।
–चिदानंद एस वटारे, प्रबंध निदेशक, कर्नाटक राज्य चिकित्सा आपूर्ति निगम