बीमार अस्पतालों को इलाज की जरूरत!शिरहट्टी तालुक का सरकारी अस्पताल।

सरकारी अस्पताल में नहीं मिल रहा इलाज
छोटे से इलाज के लिए भी जिम्स व किम्स भेज रहे डॉक्टर
दवाई के लिए भी उठानी पड़ रही परेशानी
हुब्बल्ली. पिछड़े तालुक के तौर पर पहचाने जाने वाले गदग जिले के शिरहट्टी तालुक में सरकार को सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाने की लोगों ने मांग की है।
लोगों का कहना है कि शिरहट्टी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा में प्रवेश करने वाले डॉ. चंद्रु लमाणी विधायक बनने से पहले तालुक स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक अधिकारी थे। अगर वे हमारे प्रतिनिधि बनेंगे तो अस्पतालों की अव्यवस्था ठीक कर देंगे इस उम्मीद से हमने उन्हें वोट देकर जितवाया है परन्तु जीतने के बाद वे स्वास्थ्य विभाग की समस्याओं को भूल गए।

एंबुलेंस में दो-तीन मरीजों को एक साथ ले जाया जाता है
लोगों का आरोप है कि तालुक के गरीब मरीज नियमित रूप से तालुक अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं, परन्तु अस्पताल के डॉक्टर उन्हें उचित इलाज नहीं दे रहे हैं। भले ही मामूली दुर्घटनाओं सहित आपातकालीन उपचार के लिए आने वाले मरीजों को तालुक अस्पताल में इलाज मिल रहा है, परन्तु उन्हें बिना किसी कारण के गदग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज या हुब्बल्ली के किम्स में भेजा जा रहा है। आपातकालीन स्थिति में अस्पताल की एंबुलेंस में दो या तीन मरीजों को एक साथ ले जाया जाता है।

एबीआरके अनुदान का उपयोग करने में विफलता
आयुष्मान भारत आरोग्य कर्नाटक (एबीआरके) स्वास्थ्य योजना के तहत लाइलाज बीमारियों की सर्जरी कराने वाले मरीजों को सुवर्ण आरोग्य सुरक्षा ट्रस्ट के साथ पंजीकृत निजी अस्पताल में भेजा जा सकता है। इस सुविधा के लिए तालुक अस्पताल से अनुशंसा पत्र की आवश्यकता होती है, जो उपलब्ध नहीं है। मरीजों को बिना वजह परेशान करने की भी शिकायतें हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसके अलावा, सरकार प्राकृतिक प्रसव वाली महिला रोगियों को छोडक़र तालुक सरकारी अस्पताल में भर्ती होने वाले प्रत्येक रोगी की देखभाल के लिए प्रति दिन 900 रुपए का भुगतान करती है। इस प्रकार एक माह में लगभग 200 से 250 मरीज भर्ती होते हैं। इसके चलते हर तीन या चार माह में लाखों रुपए का अनुदान जारी होने के बाद भी इसका उपयोग विकास में नहीं किया जा रहा है।

दवाएं केवल दस्तावेजों में
मरीजों ने आक्रोश जताया है कि स्थानीय तालुक केंद्र में महीने में एक बार या महीने में दो बार दवाओं की मांग की जाती है। केवल दस्तावेजों में ही मांग के अनुसार दवा की आपूर्ति की जाती है। दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद वे मरीजों को निजी मेडिकल स्टोरों पर ही भेज रहे हैं।

गरीबों को आसानी से मिले सरकारी सुविधाएं
आरोग्य रक्षा समिति के पूर्व सदस्य ईरन्ना कोटी ने आरोप लगाया कि प्रसव कराने आने वाली गर्भवती महिलाओं से पैसे लेने के बारे में कई बार शिकायत करने के बाद भी यह सिलसिला बंद नहीं हुआ है। दस साल से एक ही अस्पताल में स्थित कुछ लोग अस्पताल की दवाएं बाहर बेचते हैं। अस्पताल में रक्त जांच कर्मचारी सरकारी अस्पताल के सामने एक निजी रक्त जांच केंद्र चलाते हैं। इस बारे में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की है।
लोगों ने मांग की है कि सरकार और स्थानीय जन प्रतिनिधियों को आगे आकर शिरहट्टी तालुक में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था का इलाज करना चाहिए। गरीब लोगों को सरकारी सुविधाएं आसानी से मिलनी चाहिए।

डॉक्टर और कर्मचारियों की कमी

शिरहट्टी तालुक अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ, निश्चेतना विशेषज्ञ (एनेस्थेसियोलॉजिस्ट), बाल रोग विशेषज्ञ सहित कई डॉक्टरों की कमी है। इसके अलावा तालुक के प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्रों के अंतर्गत कार्यरत आयुष्मान स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी है। हेब्बाल प्राथमिक उपकेंद्र के अंतर्गत आने वाले आयुष्मान स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र रे होलेइटगी, कोगनूर, वडवी, कोंचिगेरी समेत बेल्लट्टी सहित दो उपकेंद्रों में कर्मचारी नहीं हैं, जिससे जनता को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।

मरीजों से 3000 रुपए लिए जाते हैं
एक मरीज के परिजन ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ कर्मचारी और डॉक्टर ठीक से व्यवहार नहीं करते हैं। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों को दवा के लिए निजी मेडिकल स्टोर पर भेजा जाता है। साथ ही प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं से पैसे ऐंठने का बुरा चलन है। एनेस्थेसियोलॉजिस्ट की आड़ में सी-सेक्शन के जरिए प्रसव कराने वाले मरीजों से 3000 रुपए लिए जाते हैं।

100 बिस्तर क्षमता वाले अस्पताल का इंतजार
तालुक अस्पताल को 100 बिस्तरों की क्षमता के साथ अपग्रेड करना तालुक के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग रही है। कई संगठन लोगों की इस मांग को पूरा करने की अपील कर रहे हैं परन्तु शिरहट्टी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों, सांसदों, विधान परिषद सदस्यों आदि सहित किसी ने भी समस्या के समाधान पर ध्यान नहीं दिया है। स्थानीय लोगों के संघर्ष के फलस्वरूप 100 बेड के अस्पताल के निर्माण के लिए जमीन खरीदी गई है। लोगों को इंतजार है कि अस्पताल का निर्माण कार्य कब शुरू होगा।

कर्मचारियों की कमी
शिरहट्टी तालुक के ग्रामीण इलाकों में आयुष्मान स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की कमी है और इसे भरने के लिए वरिष्ठों को सूचित किया जाएगा।
सुभाष दायगोंड, तालुक स्वास्थ्य अधिकारी

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