शैक्षणिक जीवन, पौष्टिक भोजन खरीदी के लिए वित्तीय मदद
कारवार. बिना अभिभावकों के अनाथ, एकल अभिभावक और यौन शोषण के शिकार….. विभिन्न समस्याओं से पीडि़त जिले के 800 बच्चों को उनकी शिक्षा और आजीविका में प्रायोजन योजना ने मदद की है।
इस प्रकार, प्रायोजन सहायता प्राप्त करने वालों में जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है, जिन्होंने कोविड अवधि के दौरान अपने पिता को खो दिया है, आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चे और लाइलाज बीमारियों से पीडि़त बच्चे शामिल हैं।
ऐसे बच्चों के लिए मासिक 4,000 रुपए सीधे उनके बैंक खातों में जमा हो रहा है।
प्रायोजन योजना के लिए प्रस्तुत आवेदनों की हर तीन महीने में समीक्षा की जाती है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 300 बच्चों और दूसरी तिमाही में 500 बच्चों का चयन इस परियोजना के लिए किया गया है।
जिला बाल संरक्षण इकाई की संरक्षण अधिकारी सोनल ऐगल का कहना है कि प्रताडऩा का शिकार होकर बाल मंदिर में शामिल होकर बाहर चले गए बच्चों के कठिनाई का सामना करने की संभावना अधिक है। ऐसे बच्चे समेत माता-पिता के सहारे के बिना बड़े हो रहे बच्चों की शिक्षा, पौष्टिक भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदी के लिए प्रायोजन योजना मदद करती है। केवल 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे ही इस लाभ के पात्र हैं। लाभार्थी इस सुविधा का लाभ केवल एक वर्ष तक उठा सकता है। केवल अत्यंत जरूरतमंद बच्चों को उनकी स्थिति के आधार पर अधिकतम तीन वर्षों के लिए यह सुविधा दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि जो बच्चे अनाथ हो गए हैं या जिन्होंने अपने पिता को खो दिया है और अपनी मां की देखरेख में बड़े हो रहे हैं, उन्हें अपना भविष्य बनाने में वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों को वित्तीय सहायता देने पर वे अपने परिवारों के साथ रह सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
सोनल ऐगल ने कहा कि योजना के लिए लाभार्थियों का चयन करने की खातिर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में अनुमोदन समिति है। केवल समिति की ओर से चयनित बच्चों को मात्र एक वर्ष की अवधि के लिए 4,000 रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता मिलेगी। समिति में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, जिला बाल संरक्षण अधिकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि होंगे।