गुलबर्गा विश्वविद्यालय परिसर में पक्षियों की चहचहाहट
कलबुर्गी. क्या आपने पक्षी को उड़ते देखा? यह द.रा. बेंद्रे का कविता संग्रह गारी कविता की लोकप्रिय पंक्तियाँ हैं।
इसकी पूंछ काली, पंख सफेद-भूरे होते हैं तथा दोनों पंख एक दूसरे से सटे होते हैं। क्या आपने पक्षी को उड़ते देखा है?
इस प्रकार की एक कविता सैकड़ों पक्षियों की याद दिलाती है परन्तु शहरीकरण और मोबाइल टावर रेडिएशन के प्रभाव के कारण, आज के बच्चे पक्षी तो दूर, उसके पंख भी नहीं देख पाते हैं।
जानवरों और पक्षियों के लिए की भोजन और पानी की व्यवस्था
ऐसे में कलबुर्गी के लोगों को पक्षियों को देखने के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। गुलबर्गा विश्वविद्यालय परिसर में जाने पर घरेलू पक्षियों की चहचहाहट सुन सकते हैं और रंग-बिरंगे पक्षी देख सकते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि घर के सामने पेड़ होने के बावजूद नजर नहीं आने वाले पक्षी वहां इतने सारे क्यों हैं। पक्षियों का कलरव केवल वर्षा ऋतु तक ही सीमित नहीं है। इस भीषण गर्मी में भी वहां पक्षी पाए जाते हैं। इसका कारण विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के छात्र हैं। उन्होंने अपने कॉलेज परिसर में जानवरों और पक्षियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की है।
10 किलो अनाज लाकर डालते हैं
प्रत्येक छात्र अपनी फीस के अतिरिक्त पशु-पक्षियों की सेवा के लिए थोड़ी सी धनराशि दान करता है। वे लगभग 200 टिन के डिब्बे लाकर, उनमें अनाज भरा और उन्हें विश्वविद्यालय के प्रत्येक विभाग के सामने तथा परिसर में पौधों की शाखाओं पर लटका दिया। वे हर महीने बाजार से 10 किलो अनाज लाकर डालते हैं। साथ हीे पानी की व्यवस्था भी करते हैं।
विविध प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं
वे हर शाम और सुबह पानी की टंकियों और अनाज के डिब्बों का निरीक्षण करते हैं। यदि यह खाली हो, तो वे इसे वापस डाल देते हैं। यही कारण है कि यहां गौरैया, कठफोड़वा, नीलकंठ, कबूतर, तोते और बुलबुल जैसे विविध प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। वहीं तो गिलहरियों बेहिसाब हैं।
सीमेंट के गड्ढे बनाने से अधिक लाभ होगा
छात्रों का कहना है कि परिसर में फलदार वृक्ष लगाने तथा पानी की निकासी के लिए छोटे-छोटे सीमेंट के गड्ढे बनाने से यहां रहने वाले जीवों को और अधिक लाभ होगा।
दोस्तों का सपना
विश्वविद्यालय के कई छात्रों ने कनसु (सपना) नामक एक सेवा संस्था बनाई है और विश्वविद्यालय परिसर में पशु-पक्षियों को भोजन और पानी उपलब्ध करा रहे हैं। वे पर्यावरण के बारे में भी जागरूकता पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कॉलेज में जन्मदिन, शादी और अन्य कार्यक्रमों के लिए आने वाले मेहमानों को फूल मालाओं के बजाय उपहार के रूप में पौधे देने की आदत बना ली है।
पक्षियों की रक्षा करें
लोगों को भी गर्मी खत्म होने तक अपनी छतों पर पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था करके पक्षी जीवन की रक्षा करनी चाहिए।
–संतोषकुमार एस.पी, छात्र
धूप में भी पक्षियों की आवाज सुन सकें
हमारा परिसर बरसात के मौसम में हरियाली से भरा रहता है। उसी तरह, हमारी आशा है कि हम चिलचिलाती धूप में भी पक्षियों की आवाज सुन सकें।
–मल्लिकार्जुन एस. पाटिल, छात्र