छात्रों ने कित्तूर रानी चन्नम्मा निसर्गधाम का किया भ्रमणछात्रों ने कित्तूर रानी चन्नम्मा निसर्गधाम का किया भ्रमण

बेलगावी. आज के शिक्षा प्रणाली में किताबों और पाठ्यक्रम की भूमिका महत्वपूर्ण है, परन्तु व्यावहारिक अनुभव भी उतना ही आवश्यक होता है। इसी सोच के तहत पीएमश्री योजना के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय नंबर 03, बेलगावी के छात्रों ने “बैगलेस डे” कार्यक्रम के तहत कित्तूर रानी चन्नम्मा निसर्गधाम, भूतरामनहट्टी का भ्रमण किया।

इस शैक्षिक यात्रा का उद्देश्य छात्रों को प्रकृति के करीब ले जाना, उनका सर्वांगीण विकास करना और कक्षा की चार दीवारों से बाहर वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोडऩा था।
प्राकृतिक सौंदर्य के बीच शिक्षा का नया आयाम

विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल कुमार, शिक्षकगण नंदा, शिवप्पा मल्लिकार्जुन, मयूरी, अर्चना, सुरज, नूरुद्दीन और ऋतु के मार्गदर्शन में यह यात्रा संपन्न हुई।

निसर्गधाम का प्राकृतिक सौंदर्य, वहां की हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट और ताज़ी हवा ने छात्रों को एक नई ऊर्जा से भर दिया। छात्रों ने यहां विभिन्न पेड़-पौधों और वन्य जीवों के बारे में जाना। शिक्षकों ने उन्हें पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता और जल-संरक्षण के महत्व पर जानकारी दी।

बैगलेस डे, शिक्षा का नया स्वरूप

“बैगलेस डे” केवल एक दिन बिना किताबों के घूमने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक अभिनव प्रयास है, जिससे बच्चों को प्रकृति से जोडऩे और उनके मनोवैज्ञानिक विकास को बल देने का अवसर मिलता है। इस तरह के शैक्षिक भ्रमण छात्रों में टीम वर्क, जिज्ञासा, नेतृत्व क्षमता और आत्मनिर्भरता जैसे गुणों का विकास करते हैं।

पुस्तकों से परे जाकर छात्रों ने वास्तविक दुनिया से जुड़े विषयों, व्यावहारिक ज्ञान को समझा। बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के महत्व को महसूस किया। इस यात्रा ने छात्रों में सहयोग, सामंजस्य और नेतृत्व कौशल को विकसित किया। प्राकृतिक वातावरण में सीखने से छात्रों में रचनात्मकता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ।

विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल कुमार ने इस कार्यक्रम को छात्रों के लिए एक बेहतरीन पहल बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि अनुभव से सीखना भी है। ऐसे कार्यक्रम छात्रों को समग्र विकास की ओर ले जाते हैं। कित्तूर रानी चेन्नम्मा निसर्गधाम में यह अनोखा अनुभव छात्रों के लिए न केवल एक यादगार यात्रा थी, बल्कि यह उनकी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी बन गया। ऐसे कार्यक्रम छात्रों में सीखने की नई प्रेरणा जगाते हैं और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रकृति ही सबसे बड़ी शिक्षक है, बस जरूरत है उसे समझने और महसूस करने की।

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