दशक बाद भी शुरू नहीं हुई लोहे की फैक्ट्रीदशक बाद भी शुरू नहीं हुई लोहे की फैक्ट्री

नहीं हुआ पूंजी निवेश, नहीं हुआ रोजगार सृजन
हजारों एकड जमीन पर नहीं हो रही खेति
बल्लारी. भारतीय इस्पात मंत्रालय के तहत देश की नवरत्न कंपनियों में से एक, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) ने बल्लारी जिले में लौह कारखाना स्थापित करने का वादा करते हुए 2014 में हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है परन्तु अभी तक फैक्ट्री शुरू नहीं की है।
इसके परिणामस्वरूप कम से कम 28 हजार करोड़ रुपए के पूंजी निवेश का नुकसान हुआ है। 50 हजार लोगों को रोजगार देने का अवसर भी खो गया है। एक दशक से हजारों एकड़ जमीन बिना किसी खेती या औद्योगिक उपयोग के बेकार पड़ी है। बल्लारी के लोगों ने रोजगार पाने की उम्मीद में स्टील फैक्ट्री को जमीन दी थी।

शिलान्यास तक नहीं किया
एनएमडीसी ने 2014 में कहा था कि वह 30 लाख टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाली कर्नाटक विजयनगर स्टील्स लिमिटेड (केवीएसएल) नाम से एक फैक्ट्री स्थापित करेगी, इसके लिए 9 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी और भविष्य में उत्पादन क्षमता को 60 लाख टन तक बढ़ाएगी। इसने 639.61 करोड़ रुपए का मुआवजा देकर बल्लारी के बाहरी इलाके वेणिवीरापुर में 2,857.54 एकड़ जमीन भी खरीदी है। कर्नाटक औद्योगिक विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने 2017 में जमीन सौंपी और 2018 में कब्जा पत्र दिया है। नियमानुसार पजेशन डीड के पांच साल के भीतर उत्पादन शुरू होना चाहिए, परन्तु एनएमडीसी ने फैक्ट्री स्थापित करने के लिए नींव तक नहीं रखी है। शिलान्यास तक नहीं किया है।

कोई प्रगति नहीं हुई
बल्लारी जिले के केआईएडीबी अधिकारियों ने फैक्ट्री स्थापित करने में एनएमडीसी की देरी के बारे में केंद्रीय कार्यालय को रिपोर्ट दी है। इसके अलावा एनएमडीसी को भी नोटिस भेजा गया है परन्तु अब तक फैक्ट्री स्थापित करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।

नोटिस जारी किया है
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केआईएडीबी के अधिकारियों ने कहा कि एनएमडीसी एक सरकारी संस्था है। इसी लिए नियमों में छूट दी गई है। फैक्ट्री शुरू नहीं करने को लेकर 34बी के तहत नोटिस जारी किया गया है परन्तु उन्होंने जवाब क्या मिला है इस बारे में बताने से इनकार किया है।

फैक्ट्री खोलने को लेकर एनएमडीसी ने साधी चुप्पी
केआईएडीबी ने बताया कि एनएमडीसी ने फैक्ट्री लगाने के लिए पानी, सुविधाएं, कच्चा माल नहीं होने का बहाना बना रही है। एनएमडीसी और केआईओसीएल दोनों भारतीय इस्पात मंत्रालय के अधीन संस्थाएं हैं। एक ओर इस्पात मंत्रालय कह रहा है कि केआईओसीएल फैक्ट्री अपनी खदान के बिना दम तोड़ रही है, वहीं दूसरी ओर संडूर में ही दो बड़ी खदानें होने के बावजूद एनएमडीसी फैक्ट्री खोलने को लेकर चुप है, इस पर आपत्ति जताई गई है।

एनएमडीसी क्या कह रहा है?

संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि केआईएडीबी की शर्तों के अनुसार, भूमि आवंटन के 9 महीने के भीतर निर्माण प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। भूमि अधिग्रहण के 5 साल के भीतर उत्पादन शुरू हो जाना चाहिए। कर्नाटक सरकार से भूमि पट्टे की अवधि को 99 वर्ष तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। वर्तमान में, कंपनी कुछ देशों में विभिन्न व्यावसायिक अवसरों की संभावना तलाश रही है। अब भूमि को गैर-चालू संपत्ति माना गया है। आगामी वित्तीय निर्णय राज्य सरकार और केवीएसएल के बीच समझौते पर निर्भर है।

अब समय आ गया है
एनएमडीसी को जमीन देने वाले बल्लारी शहरी विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष नारा प्रताप रेड्डी का कहना है कि लोह उत्पादन के क्षेत्र में निजी कंपनी जिंदल का एकाधिकार हो गया है। इसका मुख्य कारखाना बल्लारी में है। एनएमडीसी के यहां फैक्ट्री लगाने पर जिंदल को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा दे सकती है। सरकार के पूंजी निवेश सम्मेलन आयोजित करने पर भी एक लाख करोड़ रुपए आकर्षित करना मुश्किल है परन्तु एनएमडीसी के कारखाना स्थापित करने पर एक बार में ही कम से कम 30 हजार करोड़ रुपए की पूंजी प्रवाहित होगी। हमारे अपने एचडी कुमारस्वामी ही इस्पात और भारी उद्योग मंत्री हैं। अब फैक्ट्री लाने का समय आ गया है।

अयस्क बेच रही है एनएमडीसी

एनएमडीसी के पास संडूर में दोणिमलाई और कुमारस्वामी लौह अयस्क खदानें हैं। दोनों का वार्षिक अयस्क उत्पादन 15.62 मिलियन टन है। अयस्क का स्वामित्व राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (वीएसपी), केआईओसीएल, आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील भारत लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड डोलवी (महाराष्ट), मा महामाया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (विजयनगर, आंध्र प्रदेश), स्टील एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश), सन फ्लैग आयरन एंड स्टील कंपनी (नागपुर, महाराष्ट्र) वेलस्पैन स्टील लिमिटेड (मुंबई) को बेच रही है।

 

 

 

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