नौ महीने से जिला अस्पताल में रह रहा वृद्धकोप्पल जिला अस्पताल में पिछले नौ माह से भर्ती वृध्द रामंजनेयलु।

जिला अस्पताल ही उसका घर, यहां के कर्मचारी ही रिश्तेदार

कोप्पल. जीवन के अंतिम वर्षों में माता-पिता की देखभाल करना बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी है परन्तु कई लोग अपने रिश्तेदारों और माता-पिता को सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराकर फिर उन्हें वापस नहीं ले जाने की घटनाएं पूरे राज्य में हो रही हैं।
एक ऐसी ही घटना अब शहर में भी घटी है। एक बूढ़ा आदमी पिछले नौ महीने से कोप्पल जिला अस्पताल में भर्ती है और कोई भी उसे देखने नहीं आया है, जबकि उसके भाई-बहन और बच्चे भी हैं।

नौ महीने से जिला अस्पताल में ही रह रहा है

कोप्पल जिला अस्पताल में बुजुर्ग की हालत देखकर हर किसी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। शरीर पर ठीक से कपड़े नहीं हैं। वह तो उठकर चलने-फिरने की भी स्थिति में नहीं है। बिस्तर पर ही शौच करता है। इसके बावजूद जिला अस्पताल के कर्मचारी हार नहीं मानते हुए उसे भोजन, नाश्ता और उपचार उपलब्ध करा रहे हैं। वह एक महीने, दो महीने नहीं ठीक नौ महीने से बिस्तर पर बड़ा है। उस वृध्द का नाम रामंजनेयलु है।

कोई गंभीर बीमारी नहीं है

पड़ोसी विजयनगर जिले के होसपेट निवासी रामंजनेयलु बहत्तर वर्ष के हैं। वे लोहे का काम करते थे परन्तु मई 2024 में उनके रिश्तेदार उन्हें 108 एंबूलेश में कोप्पल जिला अस्पताल लाकर छोड़ गए, जो दोबारा अस्पताल वापस नहीं लौटे हैं। इसके चलते रामंजनेयलु पिछले नौ महीनों से जिला अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित एक वार्ड में अकेले एक जीवित लाश की तरह रह रहे हैं। अस्पताल की ओर से उपलब्ध कराए गए भोजन और नाश्ते पर जीवित रहने वाले रामंजनेयलु को कोई गंभीर बीमारी नहीं है परन्तु गिरने के बाद से उठकर चल भी नहीं सकने की हालत हो गई है।

मेरी इस दुर्दशा का कारण मेरा भाई है

रामंजनेयलु ने कहा कि वह अच्छा ही था परन्तु उसकी पत्नी कई साल पहले उन्हें छोडक़र चली गई है। इसके छह बच्चे भी थे, जिनमें चार मर गए और दो जीवित हैं। मैं नहीं जानता कि वे इस समय कहां हैं, और उन्हें मेरी वर्तमान स्थिति के बारे में भी पता नहीं है परन्तु मेरी इस दुर्दशा के लिए मेरा भाई ही जिम्मेदार है।

रामंजनेयलु ने पीड़ा जताते हुए कहा कि होसपेट में पांच घर थे। मुझे दो मकान मिलने चाहिए थे। मैं किराया देकर गुजारा कर रहा था परन्तु मेरे भाई ने मुझे धोखा दिया, संपत्ति अपने नाम पर पंजीकृत कर ली और मुझे बाहर निकाल दिया। मुझे एक पैसा भी नहीं दिया और अस्पताल में भर्ती कराया फिर वह वापस नहीं आया।

कोप्पल जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने ही रामंजनेयलु को कपड़े, पैसे देकर उसे ऑटो रिक्शा से होसपेट वापस भेज दिया था परन्तु अगले ही दिन वह जिला अस्पताल वापस आ गया।

जिला अस्पताल के कर्मचारी भी पिछले नौ महीनों से अस्पताल में भर्ती रामंजनेयलु की हालत से दुखी हैं परन्तु जिस परिवार ने उसकी संपत्ति लूटी और उसे धोखा दिया, वही लोग उसे देखना भी नहीं चाहते और न ही उसे घर ले जाना चाहते हैं। इसके चलते जिला अस्पताल बेघर रामंजनेयलु का घर बन गया है, और यहां के कर्मचारी ही उसके रिश्तेदार बन गए हैं।

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