हुब्बल्ली. हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम के आयुक्त का पद सरकार की तबादला नीति के कारण अनिश्चितता का केंद्र बना हुआ है।
महानगर निगम आयुक्त रुद्रेश घाली का तबादला कर उन्हें धारवाड़ में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त किया गया है। इस पद पर बेंगलूरु विकास प्राधिकरण के केएएस (वरिष्ठ रैंक) अधिकारी एवं विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी मंजुनाथ डोंबर को नियुक्त किया गया था।
मंजुनाथ डोंबर के कार्यभार संभालने से पहले ही सरकार ने 19 जून को उनका तबादला आदेश रद्द कर दिया।
इस बीच, रुद्रेश घाली का शिक्षा विभाग में तबादला आदेश रद्द नहीं किया गया है। साथ ही, उन्हें अभी तक महानगर निगम में सेवा से मुक्त भी नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या वे नगर निगम आयुक्त बने रहेंगे या स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अतिरिक्त आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे।
रुद्रेश घाली नगर निगम आयुक्त के पद पर बने रहेंगे, जबकि सूत्रों ने बताया कि संभावना है कि निगम के पिछले आयुक्त ईश्वर उल्लागड्डी धारवाड़ के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अतिरिक्त आयुक्त का पदभार संभालेंगे। हुब्बल्ली-धारवाड़ शहरी विकास प्राधिकरण आयुक्त संतोष कुमार बिरादार का भी तबादला कर दिया गया है तथा उनकी जगह धारवाड़ के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी देवराज आर. को नियुक्त किया गया था। इस आदेश को भी सरकार ने रद्द कर दिया है।
पूर्व महापौर एवं नगर निगम में भाजपा पार्षद ईरेश अंचटगेरी ने शिकायत की कि नियम है कि नगर विकास विभाग को नगर आयुक्त की नियुक्ति करते समय महापौर से चर्चा करनी चाहिए। इसका पालन नहीं किया जा रहा है। एक ओर सरकार अधिकारियों का अंधाधुंध तबादला कर रही है। साथ ही नगर निगम आयुक्त के पद पर आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। यदि आईएएस अधिकारी आयुक्त बनते हैं तो प्रशासन में अनुशासन आएगा।
नगर निगम की आम बैठक स्थगित
नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि महापौर और उप महापौर चुनाव के चलते 23 जून को हुब्बल्ली में होने वाली हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम की आम बैठक स्थगित कर दी गई है।
नगर निगम के एक भाजपा पार्षद ने कहा कि नियम है कि नगर निगम आयुक्त के रूप में नियुक्त किए गए लोगों का कम से कम दो साल तक तबादला नहीं करना चाहिए परन्तु रुद्रेश घाली का पदभार संभालने के छह महीने के भीतर ही तबादला कर दिया गया है। नगर निगम के दो दशकों के संचालन में यह पहली बार हुआ है।
उन्होंने कहा कि आयुक्त के रूप में पदभार संभालने वालों को वहां की व्यवस्था को समझने और सुधार लाने में कम से कम छह महीने लगते हैं। अगर उस दौरान उनका तबादला हो जाता है, तो कोई विकास कार्य नहीं हो पाएगा।
कम से कम दो साल हो
कम से कम दो साल का होना चाहिए। राज्य की कांग्रेस सरकार विकास कार्यों के लिए अनुदान उपलब्ध नहीं करा रही है। पदों के लिए नीलामी के माध्यम से नियुक्ति की जा रही हैं।
–ईरेश अंचटगेरी, पार्षद, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम