समय पर उपचान नहीं मिलने से मौत
प्रशासन के खिलाफ पक्षी प्रेमियों में नाराजगी
हुब्बल्ली. स्थानीय प्रशासन की ओर से समय रहते लुप्तप्राय पक्षियों को बचाने के लिए उचित प्रबंध नहीं किए जाने से पक्षी प्रेमियों में नाराजगी है।
जानवरों, बड़े पक्षियों की ओर से हमला, बिजली का झटका लगना, तथा जाल में फंसने समेत विभिन्न स्थितियों में पक्षियों के घायल या आघातग्रस्त होने पर उनकी सुरक्षा के लिए किसे बुलाना चाहिए इस बारे में अधिकांश लोगों को पता नहीं होता।
स्थानीय प्रशासन की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था न होने तथा पक्षी बचावकर्मियों की कभी-कभार अनुपलब्धता के कारण कई पक्षी मर रहे हैं। लोग असहाय हैं कि पक्षियों की पीड़ा और मौत को देखने के बावजूद कुछ भी करने में असमर्थ हैं।
श्वानों, मवेशियों, सूअरों और बंदरों जैसे जानवरों की सुरक्षा के लिए हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम के तहत अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं परन्तु महानगर निगम के कर्मचारियों का कहना है कि पक्षियों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, वे पक्षियों की सुरक्षा करने वाले निजी व्यक्तियों के संपर्क नंबर उपलब्ध कराते हैं।
आपातकालीन सुविधाएं केवल बड़े जानवरों के लिए उपलब्ध
हुब्बल्ली के एक निवासी ने बताया कि हाल ही में हमारे घर के पास एक कबूतर मिला, जो उडऩे में असमर्थ था और थका हुआ था। छूने पर भी इसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैंने अपने सभी परिचितों से पूछा। महानगर निगम हेल्पलाइन पर कॉल करने पर उन्होंने आपातकालीन सेवा हेल्पलाइन 1962 पर कॉल करने को कहा। कई प्रयासों के बाद, कॉल का उत्तर देने वाले प्रतिनिधि ने कहा कि आपातकालीन सुविधाएं केवल बड़े जानवरों के लिए उपलब्ध हैं।
कबूतर को बचाने के सभी प्रयास व्यर्थ गए
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि अगले दिन, मैंने नगर निगम हेल्पलाइन पर फिर से फोन किया और उन्हें इस मामले के बारे में बताया, उन्होंने मुझे एक निजी व्यक्ति का संपर्क नंबर दिया। जब तक यह सब खत्म हुआ, कबूतर मर चुका था। कबूतर को बचाने के सभी प्रयास व्यर्थ गए।
पक्षियों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जाएगी
पशुओं के साथ कोई समस्या होने पर नगर निगम के क्षेत्रीय आयुक्त, स्वास्थ्य निरीक्षक और सिविल सेवकों के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है। पक्षियों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
–डॉ. ईश्वर उल्लागड्डी, आयुक्त, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम
स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी
संकट में फंसे पशु-पक्षियों की सुरक्षा करना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि पशु चिकित्सालय में लेकर आएंगे तो उचित उपचार दिया जाएगा।
–डॉ. रवि सालिगौडर, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग
कई पक्षियों को बचाया
पक्षियों की रक्षा के लिए मोबाइल नंबर 9844258892 पर संपर्क करेंगे तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अब तक कई पक्षियों को बचाया गया है।
–विकास के. लुंकर, पक्षी रक्षक
मदद नहीं करती सरकार
पीपुल फॉर एनिमल्स के तेजराज जैन का कहना है कि चाहे छोटे पक्षी हों या बड़े जानवरों को समस्या कोई भी होने पर भी स्थानीय प्रशासन उचित प्रतिक्रिया नहीं देता। वे हमारे जैसे गैर-सरकारी संगठनों से केवल तभी कहते हैं जब वे जीवित होते हैं, मरने पर कंकाल ले जाते हैं। इस बारे में जिलाधिकारी के ध्यान में लाया गया है। हमारे संगठन की ओर से बचाए गए लगभग 70 जानवरों को दिन में तीन बार भोजन और आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्रदान की गई है। एम्बुलेंस कर्मचारियों को प्रति माह 2 लाख रुपए तक खर्च आता है। सरकार ऐसा काम नहीं कर रही है। कम से कम वे हमारे जैसे संगठन को वित्तीय सहायता नहीं दे रहे हैं।