तुंगभद्रा जलाशय का पानी प्रदूषिततुंगभद्रा जलाशय।

हरा हो गया बांध का पानी

बांध के पानी में जा रहा फैक्ट्री का कचरा

जलीय जीवन को हो रहा नुकसान

रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ रहा तापमान

होसपेट (विजयनगर). इस क्षेत्र की जीवन रेखा तुंगभद्रा जलाशय में जल स्तर घटने से जलीय जीवों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, तापमान भी रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ रहा है और जलीय जीवन दिन-प्रतिदिन पीडि़त हो रहा है।

कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में लाखों एकड़ कृषि भूमि, लोगों और पशुधन की सिंचाई करने वाले तुंगभद्रा जलाशय में इस वर्ष 480 टीएमसी पानी प्रवाहित हुआ था परन्तु जलाशय 30 टीएमसी गाद से भरा हुआ है और वैकल्पिक जलाशय का सपना पूरा नहीं हुआ है, जिससे पानी का उचित उपयोग मुश्किल हो रहा है।

वर्तमान में यहां 7 टीएमसी जल भंडारण क्षमता है। पिछले वर्ष भी जलाशय में जल भंडारण कम होने के कारण जलीय जीवों की बड़े पैमाने पर मौत हुई थी। पानी में ही रहने वाले जीवों को पानी के बिना जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पानी की कमी के कारण मछलियों सहित विभिन्न जलीय जीवों का जीवन खतरे में है।

हरा हो गया पानी

एक ओर जलाशय में जल स्तर घट रहा है, तो दूसरी ओर आसपास के कारखानों से निकलने वाला कचरा भी जलाशय में बह रहा है, जिससे जलीय जीवन की दुर्दशा और भी गंभीर हो रही है। कारखानों और नदी किनारे स्थित और शहरों से निकलने वाला कचरा सीधे जलाशय में प्रवाहित होते ही जलाशय के पानी का रंग हरा हो जाता है।

प्रदूषण के कारण जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। मछलियों सहित जलीय जीव मौत के जाल का शिकार हो रहे हैं।

पर्यावरणविद कारखानों से निकलने वाले कचरे पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। जलाशय के पानी का उपयोग कृषि के साथ-साथ पेयजल के लिए भी किया जाता है। गर्मियों के दौरान जल स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता रहता है। इस दौरान जलीय जीवों को भी संकट का सामना करना पड़ता है।

कार्रवाई करने की जरूरत है

तुंगभद्रा जलाशय में औद्योगिक अपशिष्ट जल प्रवाहित होने की शिकायतें शुरू से ही मिलती रही हैं। जलाशय के पूरा भर जाने पर भी पानी का रंग हरा होते देखा है। संबंधित विभागों को इस पर अंकुश लगाने और जलीय जीवों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने की जरूरत है।
डॉ. समद कोट्टूर, वन्यजीव विशेषज्ञ

सभी गेटों को बदलने का सुझाव दिया है

विशेषज्ञ टीम ने सलाह दी है कि अगामी दो वर्षों में सभी क्रस्टगेट्स को बदलने तक किसी भी समस्या को रोकने के लिए मजबूत करना चाहिए। इन गेटों की सुरक्षा के लिए लोहे की प्लेट लगाई गई है। इसे नीचे से वेल्डिंग करके मजबूत करने का निर्णय लिया गया है। जलाशय गेट विशेषज्ञ कागिनेनी कन्हैया नायडू ने हाल ही में जलाशय का दौरा कर निरीक्षण किया है। उन्होंने सभी गेटों को बदलने का सुझाव दिया है।
नारायण नायक, अधीक्षक अभियंता, तुंगभद्रा बोर्ड

तुंगभद्रा बांध के 10 क्रस्टगेट बदलें

हैदराबाद स्थित केएस एजेंसी के गैर-विनाशकारी परीक्षण (एनडीटी) विशेषज्ञों की एक टीम ने तुंगभद्रा बोर्ड को तुंगभद्रा जलाशय के 10 क्रस्टगेट्स को बदलकर नए गेट लगाने की सलाह दी है। एक ही वर्ष में सभी 32 क्रस्टगेट्स को बदलना कठिन है इसके चलते पहले चरण में 10 क्रस्टगेट्स को बदलने का निर्णय लिया गया है। अगले दस दिनों में निविदा अधिसूचना जारी करने की तैयारी चल रही है। 19वें गेट पर पहले ही 2 करोड़ रुपए अनुमानित लागत की निविदा आमंत्रित की गई है। प्रथम चरण के प्रस्तावित क्रस्टगेट्स बदलने के लिए भी 20 करोड़ रुपए की निविदा प्रक्रिया आयोजित की जाएगी।

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