केंद्रीय आयोग के संज्ञान में मामला
विजयपुर. कर्नाटक में हाल की बाढ़ के लिए महाराष्ट्र सरकार के अवैज्ञानिक जल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बृहद एवं मध्यम उद्योग मंत्री डॉ. एम.बी. पाटील ने कहा कि महाराष्ट्र में जल भंडारण (स्टोरेज) भरने के बाद पानी एक ही बार में नदी में छोड़ा गया, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई।
मंत्री ने कहा कि सामान्यत: उज्जणी जलाशय से नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़ा जाता था, परन्तु इस बार सीना नदी से लगभग 3.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे कर्नाटक के कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया। भीमा नदी मामले में महाराष्ट्र सरकार के साथ कोई समन्वय न होने के कारण जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
डॉ. पाटील ने कहा कि इस पूरे विषय को राज्य सरकार केंद्रीय जल आयोग के समक्ष रखेगी ताकि भविष्य में उचित जल प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा राहत निधि (एनडीआरएफ) की वर्तमान दिशानिर्देशों में सुधार की भी आवश्यकता जताई। वर्तमान दिशानिर्देशों के तहत प्रभावित लोगों को पर्याप्त राहत नहीं मिल रही है।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अब पुन: केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर एनडीआरएफ के दिशानिर्देशों में संशोधन कराने और राहत वितरण प्रक्रिया को सुधारने का प्रयास करेगी। इससे प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा होगी और बाढ़ जैसी आपदाओं में बेहतर राहत सुनिश्चित होगी।
