यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा
हुब्बल्ली. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव मनीष जोशी ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रौद्योगिकी का उपयोग बुद्धिमानी से करना चाहिए। इसका उपयोग हमारे मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता किए बिना करना चाहिए।
वे शहर के विद्यानगर में केएलई संस्थान के बीवीबी परिसर में एआई अनुसंधान केंद्र के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज एआई प्रौद्योगिकी कई क्षेत्रों में फैल चुकी है। एआई तकनीक का हिस्सा रहे चैट जीपीटी को विकसित किया गया है। इससे पहले, भाषा-आधारित मॉड्यूल (एलएलएम) विकसित किए गए थे। अब संवेदी-आधारित मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। इनके माध्यम से चैट जीपीटी भी मनुष्यों की तरह गंध और भोजन का स्वाद महसूस कर सकता है। प्रौद्योगिकी इतनी उन्नत हो गई है कि दृष्टि और ध्वनि की तरह गंध को भी डिजिटल अवतार में बदला जा सकता है। हुब्बल्ली-धारवाड़ के प्रसिद्ध आम की सुगंध को एआई के माध्यम से महसूस किया जा सकता है।
जोशी ने कहा कि एआई प्रौद्योगिकी में उन लोगों के लिए अनेक अवसर हैं जो पारंपरिक सोच से अलग नए तरीके से सोच सकते हैं। एआई प्रौद्योगिकी तीव्र गति से विकसित हो रही है। इसका प्रयोग अत्यंत सावधानी से करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर केएलई संस्था के कार्याध्यक्ष प्रभाकर कोरे ने कहा कि बीवीबी परिसर में 24 करोड़ रुपए की लागत से एआई अनुसंधान केन्द्र बनाया गया है। इसमें सबसे उन्नत उपकरणों का उपयोग किया गया है। छात्रों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
केएलई तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक शेट्टर ने कहा कि एआई तकनीक आने वाले दिनों में सामाजिक बदलाव लाएगी।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रकाश तिवारी ने विचार व्यक्त किया। डीन मीना उपस्थित थे। बसवराज अनामी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।