वचन साहित्य ने जीवन के मार्ग दिखाएधारवाड़ के मृत्युंजय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में आयोजित "वचन साहित्य के सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण की प्रासंगिकता" विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए बेंगलूरु बसव समिति के अध्यक्ष अरविंद जत्ती।

स्टिव रोच ने कहा

हुब्बल्ली. उत्तर अमरीका के बसव केंद्र के अध्यक्ष स्टिव रोच ने कहा कि वचन जीवन के लिए दीपक हैं। कायक (कर्म), समानता, मानवता, श्रद्धा और आत्मीयता बसवन्ना के प्रमुख सिद्धांत हैं।

धारवाड़ के मृत्युंजय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में बेंगलूरु की बसव समिति, बसव ज्ञान और अनुसंधान केंद्र, अक्कन अरिवु, पुणे के वचन अध्ययन मंच, सतारा के इतिहास अनुसंधान मंडल और शहर के बसव केंद्र की ओर से आयोजित “वचन साहित्य के सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण की प्रासंगिकता” विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।

स्टिव रोच ने कहा कि 12वीं सदी में बसवन्ना ने ‘कायकवे कैलास’ (कार्य ही पूजा) का सिद्धांत दिया और अनुभव मंडप की स्थापना की। वे सांस्कृतिक राजदूत थे। उनका कायक, अनुभव मंडप और दासोहा (दान) कन्नडिय़ों के लिए जीवन मार्ग हैं।

बेंगलूरु बसव समिति के अध्यक्ष अरविंद जत्ती ने कहा कि बसवन्ना ने विश्व भ्रातृत्व का बीजारोपण किया। वचन का अर्थ है अनुभव और अनुभूति का संगम।

इस संगोष्ठी की अध्यक्षता बेलगावी के केएलई संस्थान के प्रबंधन बोर्ड सदस्य महांतेश एम. कवटगिमठ ने की।

इस अवसर पर बसव ज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र के संस्थापक अध्यक्ष शशिकांत पट्टण, एम.एम. कलबुर्गी प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रो. वीरन्ना राजूर, प्राचार्या नीलक्का सी. पाटील, वीणा हूगार, प्रो. एस.एस. संगोल्ली, प्रो. शशांक हादिमनी, प्रो. नागराज एम. कोटगार और प्रो. उमेश नीलप्पा उपस्थित थे।

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