वीरशैव-लिंगायत समुदाय की बैठक 11 कोशिरहट्टी के फकीरेश्वर मठ के दिंगलेश्वर स्वामी।

जाति कॉलम में क्या भरना है तय होगा

हुब्बल्ली. वीरशैव-लिंगायत एक ही हैं ऐसा मानने वाले विभिन्न मठाधीश और अखिल भारत लिंगायत वीरशैव महासभा के नेता 11 सितंबर को बेंगलूरु में बैठक करेंगे।

शिरहट्टी के फकीरेश्वर मठ के दिंगलेश्वर स्वामी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक सर्वेक्षण में जाति और उपजाति कॉलम में क्या भरना है, इसको लेकर समाज में भ्रम है। बैठक का उद्देश्य इसे स्पष्ट करना है।

स्वामी ने कहा कि वीरभद्र चन्नमल्ल सहित मठों के विद्वान नेता अब बसवत्व का पालन नहीं कर रहे हैं। इसे राजनीतिक प्रचार में इस्तेमाल किया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग बसव संस्कृति यात्रा का नाम लेकर समाज को विभाजित करने का काम कर रहे हैं। यात्रा मंच पर कुछ स्वामीजियों को डराकर बुलाया जा रहा है।

स्वतंत्र धर्म का आग्रह

स्वामी ने कहा कि निडुमामिडी मठ के वीरभद्र चन्नमल्ल स्वामी ने विजयपुर में कहा कि वीरशैव-लिंगायत हिंदू धर्म का अंग नहीं है, यह स्वतंत्र धर्म है। इसे अपनाने का मतलब हिंदू धर्म के विरोधी बनना नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया कि विभिन्न मतभेदों को सुलझाकर वीरशैव-लिंगायत महासभा को एक साथ आकर स्वतंत्र धर्म की मान्यता प्राप्त करनी चाहिए। केंद्र सरकार के जाति गणना शुरू करने से पहले यह जरूरी है। इस बैठक में जाति-उपजाति कॉलम भरने के दिशानिर्देश तय किए जाएंगे और समाज में स्पष्टता लाने का प्रयास किया जाएगा।

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