कोप्पल. संध्या के गोधूलि मुहूर्त में कोप्पल जिले के प्राचीन हेमगुड्डा गांव देवस्थान परिसर में पारंपरिक विजय दशमी उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। कर्नाटक की ऐतिहासिक विजयनगर साम्राज्यकालीन परंपरा के अनुरूप दशहरा को “नाडोत्सव” (प्रांतीय उत्सव) एवं “दशहरा सुवर्ण महोत्सव” के रूप में मनाने की परंपरा इस वर्ष भी जीवंत दिखाई दी।
इस अवसर पर दुर्गा पारमेश्वरी माता की रजत मूर्ति को सुसज्जित हाथी की अंबारी में विराजमान कर पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद लगभग दो किलोमीटर लंबी भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें पारंपरिक ढोल, नगाड़े, डमरू व अन्य वाद्ययंत्रों की गूंज के साथ देवी जयकारों से वातावरण गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने माता की झलक पाने के लिए श्रद्धा और उत्साह से भाग लिया।
महोत्सव में कोप्पल जिले के अलावा आसपास के क्षेत्रों से भी लाखों श्रद्धालु पहुंचे। प्रशासन के अनुसार एक लाख से अधिक भक्तों ने इस दिव्य उत्सव में भाग लिया। इसके अतिरिक्त कुछ विदेशी पर्यटक भी इस परंपरागत आयोजन को देखकर अभिभूत हो उठे और भारतीय संस्कृति की भव्यता का अनुभव किया।
हेमगुड्डा का यह दशहरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि विजयनगर साम्राज्य की गौरवशाली परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर करता है।
यह जानकारी श्रेणिक सुराणा ने दी।
