वायरल फीवर का प्रकोप, बच्चे बेहालराणेबेन्नूर के सार्वजनिक अस्पताल में विभिन्न गांवों से बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कराने आए अभिभावक।

मौसम में बदलाव का असर
हावेरी. मौसम में बदलाव के कारण राणेबेन्नूर तालुक में बच्चों में खांसी, बुखार और सर्दी के मामले बढ़ गए हैं।
शहर के प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों में आने वाले 30 से 40 प्रतिशत से अधिक लोगों की बुखार की जांच की जा रही है।
इनमें अधिकतर बच्चे हैं। तापमान में उतार-चढ़ाव, हवा, बारिश और धूप के कारण वायरल बुखार सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित कर रहा है। वहीं दूसरी ओर सर्दी और फ्लू जैसी बीमारी की समस्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
कुसगूर गांव की निर्मला कुसगूर और शहर की शिल्पा मरियम्मनवर ने कहा कि बच्चों को दो-तीन दिन से बुखार था, हमारे गांव में डॉक्टर के पास ले जाकर दिखाया था। बुखार कम नहीं होने के कारण शहर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर से इलाज कराने के बाद अब स्वस्थ हुए हैं।

मरीजों की जांच करते-करते थक गए हैं डॉक्टर
डॉ. गिरिश केंचप्पनवर ने कहा कि बच्चों में रोग प्रतिरक्षा क्षमता कम होती है, इसलिए आमतौर पर पहले बुखार दिखाई देता है। फिर यह घर में सभी लोगों तक व्यापक रूप से फैल जाता है। सर्दी, खांसी, हाथ-पैरों में दर्द से शुरू होकर यह समस्या चार दिनों तक बनी रहती है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि छींकने या खांसने पर पानी की बूंदें दूसरों को न लगें। डेंगू, एच1एन1, कोरोना के संदिग्ध मरीज मिल रहे हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर पिछले दस दिनों से बुखार, सर्दी और खांसी के मरीजों की जांच करते-करते थक गए हैं। अगर मरीज डॉक्टर की सलाह के बिना दवा लेता है तो साइड इफेक्ट होने की संभावना ज्यादा रहती है।

मौसम बदलने पर सामने आते हैं बुखार के मामले
तालुक के 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिदिन कुल 10 से 15 रोगियों की जांच की जाती है। पिछले सप्ताह दो-तीन दिनों तक प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बुखार, सर्दी, खांसी से पीडि़त मरीज जांच के लिए आए थे। जब मौसम बदलता है, तो बुखार के मामले सामने आते हैं।
डॉ. राजेश्वरी कदरमंडलगी, तालुक स्वास्थ्य अधिकारी, राणेबेन्नूर

प्रतिदिन 70-80 मरीज

सरकारी अस्पताल में रोजाना बुखार, सर्दी, खांसी के 70 से 80 मरीज आ रहे हैं। स्टेशन रोड स्थित जच्चा अस्पताल में रोजाना 60 से 70 बच्चों की जांच की जाती है। उनमें से 8 से 10 अस्पताल में भर्ती होते हैं। औसतन प्रति माह 1500 से 1800 मरीजों की जांच की जाती है।
डॉ. राजू शिरूर, चिकित्सा अधिकारी, सार्वजनिक अस्पताल, राणेबेन्नूर

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