स्थायी मरम्मत की मांग
धूमिल हुई मंदिर की सुंदरता
कारवार. दशकों से बारिश का पानी टपका रहे बनवासी के मधुकेश्वर मंदिर के छत की गर्मियों में मरम्मत कार्य करने वाले पुरावशेष एवं पुरातत्व विभाग ने बारिश शुरू होते ही फिर से टपकने वाले मंदिर को तिरपाल (तारपोलिन) से ढकने का काम किया है। इससे मंदिर की सुंदरता धूमिल हो गई है।
मधुकेश्वर मंदिर मेें कई सालों से बारिश के मौसम में पानी टपक रहा है। मंदिर के गर्भगृह, नंदी मंडप, संकल्प मंडप, घंटे मंडप और अन्य स्थानों की छत का प्लास्टर उखड़ गया है और पानी अंदर आ रहा है। बारिश और धूप से क्षतिग्रस्त हो चुके इस पत्थर के मंदिर में पहली बार 1970 के दशक में रिसाव शुरू हुआ था। उस समय पुरातत्व विभाग ने मंदिर की मरम्मत का काम अपने हाथ में लिया था। कहा जाता है कि उस दौरान मधुकेश्वर मंदिर की छत का प्लास्टर हटाकर रासायनिक लेप लगाया गया था। तब से कई बार मरम्मत की जा चुकी है। इसके बाद भी मंदिर का रिसाव आज भी जारी है।
गायब हुई मधुकेश्वर मंदिर की खूबसूरती
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुरावशेष एवं पुरातत्व विभाग के हावेरी डिवीजन के कर्मचारियों ने 2023 में मंदिर के गर्भगृह पर अस्थायी रूप से तिरपाल लगाया था। रिसाव की दर बंद नहीं होने के कारण मंदिर प्रबंधन ने मंदिर की स्थायी मरम्मत के लिए पुरातत्व विभाग को कई पत्र लिखे थे। कारण यह है कि पिछली गर्मियों में मामूली मरम्मत का काम तो किया गया, लेकिन रिसाव बंद नहीं हुआ। इसलिए विभाग ने मंदिर की छत को फिर से काले तिरपाल से ढक दिया है, जिससे खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर मधुकेश्वर मंदिर की खूबसूरती गायब हो गई है।
मरम्मत की औपचारिकता
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2010 के आसपास पुरातत्व विभाग ने फिर से मरम्मत का काम शुरू किया और स्थानीय लोगों को दूर रखकर चुपके से पूरे मंदिर की छत पर गुड़, चूना, दालचीनी का तेल और पत्थरों को नुकसान से बचाने के लिए रसायन डालकर काम पूरा किया था। पुरातत्व विभाग के इस कार्य को लेकर उस दौरान नाराजगी व्यक्त हुई थी। यह दुखद है कि पारदर्शिता के बिना तीन-चार बार मरम्मत किए जाने के बाद भी रिसाव बंद नहीं हुआ है।
पार्वती मंदिर और लक्ष्मीनरसिंह मंदिर में भी रिसाव
स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग ने कहा है कि गर्मी के दिनों में अस्थायी काम किया गया है परन्तु यह सही नहीं है। यह सोचा गया था कि मरम्मत के बाद रिसाव बंद हो जाएगा, परन्तु बारिश के मौसम में यह गलत साबित हुआ। तिरपाल की वजह से कुछ जगहों को छोडक़र बाकी जगहों में रिसाव की दर वैसी ही है। मधुकेश्वर मंदिर ही ऐसा अकेला मंदिर नहीं है, जहां यह स्थिति है। पार्वती मंदिर और लक्ष्मीनरसिंह मंदिर में भी रिसाव हो रहा है। उन्हें स्थायी रूप से बचाने के लिए काम किया जाना चाहिए।
अस्थायी व्यवस्था की गई है
पुरातत्व विभाग के एक कर्मचारी ने कहा कि बरसात के मौसम में पानी के रिसाव को रोकने के लिए अस्थायी व्यवस्था की गई है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हमें बारिश के मौसम के बाद स्थायी काम करने के लिए कहा है।
स्थायी काम के लिए कदम उठाना चाहिए
अस्थायी मरम्मत कार्य से ज्यादा फायदा नहीं होगा। बरसात का मौसम खत्म होने के बाद विभाग को स्थायी काम के लिए कदम उठाना चाहिए।
–राजशेखर वोडेयार, पूर्व अध्यक्ष, मधुकेश्वर मंदिर प्रबंधन बोर्ड
प्राचीन मंदिरों में से एक
मधुकेश्वर मंदिर राज्य के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसलिए पुरातत्व विभाग को स्थायी मरम्मत करके अपनी प्राचीन चेतना का परिचय देना चाहिए।
–लक्ष्मीश सोंदा, इतिहासकार