गड्ढा निर्माण कर ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति
मवेशियों के लिए की पीने के पानी की व्यवस्था
हुब्बल्ली. धारवाड़ तालुक के दुब्बनमरडी गांव की झील की गाद को हटाकर उसका पुनरुत्थान किया गया है। झील परिसर के अंदर एक एकड़ क्षेत्र में गड्ढा निर्माण कर ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति करने के जरिए मवेशियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, जिससे ग्रामीणों में खुशी छाई है।
हंगरकी ग्राम पंचायत और धर्मस्थल ग्राम विकास योजना की ओर से नम्मूरु नम्मा केरे (हमारा गांव हमारी झील) कार्यक्रम के तहत झील को पुनर्जीवित किया गया है। झील के गड्ढे का पानी दुब्बनमरडी और आसपास के गांवों के मवेशियों और पक्षियों के लिए पीने के पानी का स्रोत बना हुआ है।
गड्ढा बनाकर पानी संग्रह किया
झील के प्रांगण में पानी के प्रवाह के लिए तीन तरफ एक बड़े पाइप की व्यवस्था की गई है और झील भरने पर पानी बाहर बहने की व्यवस्था की गई है। झील के अंदर एक एकड़ क्षेत्र में लगभग चार फीट गहरा गड्ढा बनाकर पानी संग्रह किया गया है।
धूप में प्यासे पशु-पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं
ग्राम पंचायत के ट्यूबवेल से गांव के कुंडों (मिनी टैंकों) को कनेक्शन दिया गया है। इन कुंडों को भरने के बाद पानी को झील के गड्ढे में प्रवाहित करने की व्यवस्था की गई है। गर्मी की तपती धूप में प्यासे पशु-पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं। गांव के लडक़े दोपहर में झील के गड्ढे में तैरते हैं।
12 एकड़ की झील विकसित
हर साल हम धर्मस्थल ग्राम विकास योजना के तहत तालुक की एक झील को पुनर्जीवित करते हैं। वर्ष 2023-24 के दौरान, हमने लगभग 38 दिनों में परियोजना से 9 लाख और पंचायत से 8 लाख की लागत से दुब्बनमरडी की 12 एकड़ की झील विकसित की है। 8 मार्च को झील को गंगा पूजन कर नेम प्लेट का अनावरण किया गया है।
–शंकरय्या एस. हिरेमठ, तालुक कृषि पर्यवेक्षक, धर्मस्थल ग्राम विकास परियोजना
निजी ट्यूबवेलों से गड्ढे में भरा पानी
मिनी टैंक भरने के बाद चार घंटे तक पानी झील में बहाया जाता है। दो दिनों तक, हमने निजी (किसानों) ट्यूबवेलों से पानी बहाकर गड्ढे को भरा है।
–विठ्ठला पुजारी, अध्यक्ष, ग्राम पंचायत, हंगरकी