राष्ट्रीय ध्वज छोड़कर बैग बुनने को मजबूर बेंगेरी के बुनकरहुब्बल्ली के बेंगेरी स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग केंद्र में राष्ट्रीय ध्वज तैयार करती महिलाएं।

केवल 50 लाख रुपए मूल्य के ध्वज बिके

गोदाम में पड़े 2 करोड़ रुपए मूल्य के ध्वज

हुब्बल्ली. शहर के बेंगेरी स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग केंद्र राष्ट्रीय ध्वज और खादी कपड़ों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। यह देश का एकमात्र आधिकारिक केंद्र है जिसे राष्ट्रीय ध्वज बनाने और पूरे भारत में आपूर्ति करने की अनुमति है परन्तु राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन के बाद पॉलिएस्टर ध्वजों की बिक्री को मंजूरी मिलने से खादी ध्वज की मांग में भारी गिरावट आई है।

स्थिति यह है कि जहां पहले बुनकर राष्ट्रीय ध्वज बनाते थे, अब वे मजबूरी में खादी बैग तैयार कर रहे हैं, जिससे देशभक्तों और आम जनता में निराशा फैल गई है। इस बार 15 अगस्त से पहले की बिक्री बेहद कमजोर रही। 6 अगस्त तक केवल 50 लाख रुपए मूल्य के ध्वज बिके, जबकि 2022 में अमृत महोत्सव के दौरान ‘हर घर तिरंगा’ अभियान से रिकॉर्ड 4.28 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था।

खादी ग्रामोद्योग के अस्तित्व पर संकट

अप्रेल से ही राष्ट्रीय ध्वज निर्माण बंद कर दिया गया है। श्रमिकों को काम देने के लिए बैग बनाने का कार्य सौंपा गया है, परन्तु उसकी बिक्री भी बहुत कम हो रही है, जिससे खादी ग्रामोद्योग के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।

गोदाम में पड़े 2 करोड़ रुपए मूल्य के ध्वज

संस्थान में 35-40 महिलाएं ही अब ध्वज निर्माण में लगी हैं, बाकी 400 से अधिक कर्मचारी अन्य कामों में जुटे हैं। बिक्री घटने से मजदूरों का एक महीने का वेतन बकाया है। जनवरी के गणतंत्र दिवस के लिए तैयार किए गए 2 करोड़ रुपए मूल्य के ध्वज अब भी गोदाम में पड़े हैं।

संहिता संशोधन को वापस लेने की मांग

पहले जून-जुलाई में जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से बड़ी मांग आती थी परन्तु इस साल मांग में 75 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। उन्होंने केंद्र सरकार से पॉलिएस्टर ध्वज की अनुमति देने वाले संहिता संशोधन को वापस लेने की मांग की है।
शिवानंद मठपति, सचिव, कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *