कृष्णा पीड़ितों को क्या मिलेगा न्याय?आलमट्टी बांध।

समाधान सूत्र पर चर्चा के लिए 3 सितम्बर को सीएम की अध्यक्षता में होगी बैठक

बागलकोट. कृष्णा ऊपरी तट परियोजना (यूकेपी) के तीसरे चरण के प्रभावितों को न्यायसंगत मुआवजा दिलाने के लिए राज्य सरकार अब सक्रिय हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की अध्यक्षता में आगामी 3 सितम्बर को बेंगलूरु में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी।

इस बैठक में विस्थापितों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। लंबे संघर्ष के बाद यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिसमें उचित मुआवजा वितरण का सूत्र निकलने की उम्मीद है।

विशाल भूमि अधिग्रहण

यूकेपी तृतीय चरण के अंतर्गत आलमट्टी बांध की ऊंचाई 519.60 मीटर से बढ़ाकर 524.256 मीटर करने का प्रस्ताव है। इसके लिए लगभग 1.33 लाख एकड़ भूमि का अधिग्रहण आवश्यक होगा। अब तक 29,568 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हो चुका है, जबकि 44,947 एकड़ विभिन्न चरणों में है और लगभग 59,534 एकड़ का अधिग्रहण शेष है। विस्थापितों के लिए 20 पुनर्वास केंद्र प्रस्तावित हैं, जिनमें से 14 का निर्माण पूरा हो चुका है।

मुआवजे पर विवाद

किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में भारी असमानता है। कई मामलों में एक एकड़ भूमि के लिए 76 लाख से लेकर 23 करोड़ रुपए तक मुआवजा तय किया गया है। इस अनुपात में यदि मुआवजा दिया गया तो सरकार पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का बोझ आ सकता है। फिलहाल 13 हजार से अधिक मामले न्यायालयों में लंबित हैं।

पीडि़तों की मांग

प्रभावितों का आरोप है कि सरकारों ने घोषित मुआवजे के भुगतान में वर्षों की देरी की, जिसके कारण ब्याज राशि डेढ़ गुना बढ़ गई है। उनकी प्रमुख मांग है कि नई भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार उचित दर पर मुआवजा दिया जाए तथा भुगतान में हुई देरी के लिए प्रति वर्ष 10 प्रतिशत एक्स-ग्रेशिया राशि भी प्रदान की जाए।

त्वरित भुगतान ही एकमात्र समाधान

स्वाभिमानी वेदिके के संयोजक प्रकाश अंतरगोंड का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में पीडि़तों के साथ न्याय चाहती है, तो मुआवजे का उचित और त्वरित भुगतान ही एकमात्र समाधान है।

-3 सितंबर को बेंगलूरु में बैठक
-1.33 लाख एकड़ भूमि अधिग्रहण किया जाना है
-20 गांवों के लिए पुनर्वास केंद्र बनाए जाएंगे
-2 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता है

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