
कर्नाटक चुनाव 2023
प्रतिष्ठा का मैदान बना सेट्रल निर्वाचन क्षेत्र
हुब्बल्ली. विधानसभा चुनाव का रण दिन पर दिन बढ़ रहा है। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर की ओर से कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हुब्बल्ली-धारवाड़ केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र राज्य का ध्यान आकर्षित किया है। किसी भी सूरत में निर्वाचन क्षेत्र जीतने का संकल्प लिए कांग्रेस और भाजपा के लिए हुब्बल्ली राजनीतिक शक्ति का केंद्र बना हुआ है।
पूर्व सीएम जगदीश शेट्टर के कांग्रेस में शामिल होने और भाजपा नेताओं की आलोचना करने के बाद हुब्बल्ली सेंट्रल क्षेत्र भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का मैदान बन गया है। भाजपा के गढ़ वाले निर्वाचन क्षेत्र में छह बार जीतने और सातवीं बार जीत हासिल कर निर्वाचन क्षेत्र पर अपनी पकड़ नहीं छोडऩे का भाजपा ने दृढ़ संकल्प लिया है। जगदीश शेट्टर जैसे वरिष्ठ राजनीतिक राजनयिक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उन्हें निर्वाचित करने के जरिए भाजपा के कब्जे वाले निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा करने की कांग्रेस की महत्वाकांक्षा है और साथ ही शेट्टर को जीत का तोहफा देकर पार्टी की संपत्ति बनाने की जिद है।
हुब्बल्ली में नेताओं का डेरा
जगदीश शेट्टर के यह कहने के बाद कि भाजपा के बीएल संतोष के कारण उन्हें टिकट नहीं मिला, पूरे चुनाव की दिशा बदल गई। तब तक चुनाव सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच की लड़ाई थी, अब लिंगायत बनाम ब्राह्मण का रंग ले लिया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, स्मृति ईरानी, सीएम बसवराज बोम्मई, पूर्व सीएम बीएस येडियूरप्पा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नळिनकुमार कटील, बिहार के भाजपा सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत दस से ज्यादा नेता सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं।
अमित शाह और बीएस येडियूरप्पा ने भाजपा नेताओं और समुदाय के नेताओं के साथ बैठकों की श्रृंखला के साथ गुप्त बैठकें कीं। वहीं कुछ अन्य नेताओं ने रोड शो और खुली सभाएं करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी शेट्टर को हराने के लिए रणनीति बनाई है।
कांग्रेस की काउंटर रणनीति
भाजपा की ओर से मध्य (सेंट्रल) निर्वाचन क्षेत्र को गंभीरता से लेते ही सतर्क हुए कांग्रेस नेताओं ने भी हुब्बल्ली में डेरा डाला है। एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एआईसीसी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, एआईसीसी मीडिया एवं संचार केंद्र के रोहन गुप्ता, आलोक शर्मा और कई अन्य नेता हुब्बल्ली पहुंचकर सिलिसिलेवार बैठकें, खुफिया बैंठकों को करने के जरिए भाजपा की रणनीति के खिलाफ रणनीति बनाने का फैसला किया है।
आरोप-प्रत्यारोप
हुब्बल्ली-धारवाड़ सेंट्रल क्षेत्र को निशाना बनाकर भाजपा और कांग्रेस के नेता आपस में आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं। जहां शेट्टर को हराने के लिए खून से चि_ी लिखे जाने की बातें सुनाई दे रही हैं, वहीं आरोप सुनने को मिल रहे हैं कि शेट्टर को टिकट न देकर भाजपा की नींव को ही कमजोर करने की कोशिश की गई है। यहां हो रही निंदा-आलोचनाएं पूरे राज्य को प्रभावित कर रही हैं, इसलिए दोनों दलों के नेता हुब्बल्ली को शक्ति का केंद्र बना कर यहीं से सब कुछ नियंत्रित कर रहे हैं।
शेट्टर की प्रतिष्ठा चुनाव नतीजों पर टिकी है
अगर मौजूदा विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर भाजपा से चुनाव लड़ते तो हुब्बल्ली-धारवाड़ सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र को इतना महत्व नहीं मिलता था परन्तु बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में, जगदीश शेट्टर और उनके परिवार ने अपने सिद्धांतों को त्याग कर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अखाड़े में उतरे हैं। इसलिए हुब्बल्ली-धारवाड़ सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र ने इस चुनाव में राज्य और देश का ध्यान आकर्षित किया है। इस चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र में कौन जीतेगा? यही सबका सवाल है। अब कांग्रेस और शेट्टर की प्रतिष्ठा चुनाव नतीजों पर टिकी है।
कांग्रेस तो बहाना है
इस बार के चुनाव में हुब्बल्ली-धारवाड़ सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र के लिए कांग्रेस से जगदीश शेट्टर तो भाजपा से उनके शिष्य और प्रदेश महासचिव महेश टेंगिनकाई और जेडीएस से सिद्धलिंगेश्वर गौड़ा महंात वोडेयार उम्मीदवार हैं। सभी जानते हैं कि चुनाव में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है परन्तु यहां कांग्रेस तो बहाना है। सीधा मुकाबला सिर्फ जगदीश शेट्टर और भारतीय जनता पार्टी के बीच है।
इस निर्वाचन क्षेत्र में 1994 से 2018 तक 6 चुनाव जीत चुके जगदीश शेट्टर के लिए यह सातवां चुनाव है परन्तु यह ध्यान देना जरूरी है कि वे इस बार भाजपा के उम्मीदवार नहीं हैं। जब भाजपा ने घोषणा की कि वह जगदीश शेट्टर को टिकट नहीं देगी, तो वे भडक़ उठे। उन्होंने खुलकर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
बीएल संतोष व अन्य पर नाराज हुए थे। इसके बाद वे सीधे विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के घर जाकर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। वे हुब्बल्ली से बेंगलूरु जाकर कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए।
दो भागों में बंटा हुआ नजर आ रहा क्षेत्र
अब हुब्बल्ली-धारवाड़ मध्य (सेंट्रल) निर्वाचन क्षेत्र दो भागों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। एक भाग में भारतीय जनता पार्टी के सिध्दांत और विचारधारा पर विश्वास रखने वालों का वर्ग है। इस वर्ग की नाराजगी का कारण है कि भाजपा ने जगदीश शेट्टर को कितने मौके दिए हैं? इसने उन्हें विधायक, मंत्री, विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री और फिर से भाजपा सरकार में मंत्री के तौर पर काम करने कका मौका दिया परन्तु केवल टिकट के मुद्दे को आगे रखकर राष्ट्रीय नेताओं के घर आने के बाद भी उनकी बातों को नहीं मानकर कांग्रेस में शामित हुए।
चुनाव नतीजों का फैसला करने वाले दोनों गुट
इसके अलावा, एक अन्य वर्ग जगदीश शेट्टर का व्यक्तिगत रूप से समर्थित समूह है। चाहे वे किसी भी पार्टी में हों, उनकी सादगी, हमेशा लोगों से मिलने का तरीका, उनकी ओर से किए गए कार्यों पर विश्वास करते हैं और उनका समर्थन करते हैं। इसके अलावा शेट्टर जैसे वरष्ठि नेता को टिकट नहीं देकर भाजपा ने अन्याय किया है कहकर अनुकंपा रखने वाला वर्ग है। इस चुनाव के नतीजों का फैसला करने वाले ये दोनों गुट मात्र हैं।
लिंगायत, मुस्लिम वोट अहम!
निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 2,42,736 मतदाता हैं। अलग-अलग संप्रदायों के लिंगायतों को मिलाकर करीब 70 हजार वोट हैं। मुस्लिम वोट करीब 40 हजार हैं। एससी-एसटी 35 हजार, ब्राह्मण 26 हजार हैं, जगदीश शेट्टर के व्यक्तिगत छवि के वोट, कांग्रेस का समर्थन करने वाले मुस्लिमों के वोट और बहु संख्यक लिंगायतों का शेट्टर को समर्थन करने पर जगदीश शेट्टर 7वीं बार हुब्बल्ली-धारवाड़ निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर एक रिकॉर्ड बनाएंगे।
1999 से 2018 तक जगदीश शेट्टर के खिलाफ कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं जीता। जगदीश शेट्टर 25 हजार, 26 हजार, 17 हजार और 21 हजार वोटों से जीते हैं। इस जीत के पीछे क्या भाजपा ने काम किया है या फिर शेट्टर की व्यक्तिगत छवि? समय ही इसका जवाब देगा।