जमानत पर छूटने के बाद चित्रदुर्ग से दावणगेरे आए मुरुघा शरण स्वामी
दावणगेरे/चित्रदुर्ग. पॉक्सो मामले में 14 महीने की न्यायिक हिरासत में रहे मुरुघामठ के पीठाधीशशिवमूर्ति शरण जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद चित्रदुर्ग से दावणगेरे आए। दावणगेरे कें शिवयोगी मंदिर में जयदेव मुरुघराजेंद्र स्वामी और अथणी मुरुघेंद्र शिवयोगियों की समाधी का दौरा कर नमन किया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवमूर्ति शरण ने कहा कि मुकदमा अदालत में होने के कारण कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। अब से अच्छा करते हैं। आपके सहयोग के लिए धन्यवाद।
बाद में उन्होंने दोड्डपेट स्थित विरक्त मठ का दौरा किया। दावणगेरे दौरे के चलते शिवयोगी मंदिर परिसर की सफाई की गई थी। मठ में आते ही श्रद्धालुओं ने मुरुघा शरण के जयकारे लगाए।मुरुघा शरण ने जुलाई 2022 को दावणगेरे में आयोजित जयदेव स्वामी के स्मृति कार्यक्रम में भाग लिया था। यही उनका आखिरी कार्यक्रम था। मुरुघा मठ प्रभारी बसव प्रभु स्वामी, पूर्व विधायक एचएस शिवशंकर और अन्य ने भाग लिया था।
जमानत पर बाहर आए स्वामी पर हाई कोर्ट ने चित्रदुर्ग जिले में प्रवेश न करने समेत कई शर्तें लगाई हैं।मामले के सबूतों को नष्ट या प्रभावित नहीं करना चाहिए। ऐसा कृत्य दोबारा नहीं दोहरा सकते। दो लोगों को जमानत (शुरिटी) देनी चाहिए। पासपोर्ट अदालत में जमा करना चाहिए। कोर्ट में वीसी के जरिए उपस्थित होना चाहिए। चित्रदुर्ग में प्रवेश वर्जित है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए भी मामले की सुनवाई में शामिल होना चाहिए।
जेल से बाहर आने के बाद मुरुघा शरण सीधे दावणगेरे चले गए। श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया।
मुरुघा शरण के खिलाफ 26 अगस्त 2022 को पॉक्सो मामला दर्ज किया गया था। बाद में कोर्ट ने अग्रिम जमानत भी खारिज की थी।
मुरुघा मठ के पीठाधीश मुरुघा शरण को पॉक्सो मामले में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। उन्हें मठ में नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीडऩ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 761 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी। बुधवार को जमानत आदेश में देरी के कारण उन्हें बुधवार के बजाय गुरुवार को रिहा किया गया है।
चार दिन पहले होना था रिहा
मुरुघा शरण के वकील केवीके स्वामी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक शर्तें पूरी करने पर उन्हें जेल से रिहा किया गया है। यह कानूनी ढांचे के मुताबिक किया गया है। दूसरे मामले में भी जमानत की जरूरत नहीं है। वकील संदीप पाटिल ने कहा कि उन्हें चार दिन पहले रिहा करना चाहिए था परन्तु दिवाली की छुट्टी के कारण उन्हें गुरुवार को रिहा किया गया है। किस मामले में वे हिरासत में रहते हैं, उसमें हम जमानत की याचिका सौंप सकते हैं। दूसरे मामले में, कोई हिरासत या गिरफ्तारी नहीं हुई है, इसलिए उन्हें पहले मामले में रिहा किया गया है। बेल के मुताबिक शर्तों का पालन करना होगा।