
दो क्षेत्रों में हिंदुत्व बनाम भाजपा!
मेंगलूरु. तटीय (करावली) क्षेत्र में भगवा ब्रिगेड भाजपा का गढ़ है, संघ परिवार की प्रयोग शाला है.. वहां भाजपा ने जो भी प्रयोग किए हैं, उसमें उसे सफलता मिली है परन्तु इस बार भाजपा के सामने कई चुनौतियां हैं। पिछली बार दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों की 13 में से 12 विधानसभा सीटों पर कमल खिला था परन्तु इस बार कुछ विधानसभा क्षेत्रों में बगावत भाजपा के लिए सिरदर्द बनी हुई है। इसके साथ ही दिग्गजों को हटाकर नए चेहरों को तरजीह दी गई है, जिससे भी भाजपा में खलबली मची है। भाजपा ने इस बार 13 में से 7 सीटों पर नए चेहरों को उतारा है। दो निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा हिंदुत्व के बगावत को झेल रही है।
तटीय क्षेत्र में भाजपा के लिए हिंदुत्व की बगावत
मुख्य रूप से उडुपी जिले के कारकल और दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर में भाजपा उम्मीदवारों को बगावत का सामना करना पड रहा है। हिंदुत्व के फायरब्रांड, तीन बार के विधायक और मंत्री वी सुनील कुमार कारकल विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से मैदान में हैं परन्तु उनके खिलाफ कट्टर हिंदुत्ववादी, श्रीराम सेना के मुखिया प्रमोद मुतालिक चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे चुनावी पारा बढ़ गया है। हिंदुत्व विचारधारा के आधार वाले दोनों नेता एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी होने से वोटों के विभाजन की संभावना है। इससे कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सुविधाजनक माहौल बना हुआ है। कारकल में हिंदुत्व विचारधारा अधिक महत्वपूर्ण होने के कारण मुतालिक ने इसी निर्वाचन क्षेत्र में आकर चुनाव लड़ रहे हैं। न केवल श्री राम सेना बल्कि कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने मुतालिक को अपना समर्थन दिया है। इस घटनाक्रम से मंत्री सुनील कुमार की जीत की दौड़ पर ब्रेक लगने की संभावना है।
पुत्तूर में भाजपा के आगे हिंदुत्व बना सिरदर्द
अगर यह कारकल की कहानी है तो पुत्तूर की कहानी थोड़ी अलग है। भाजपा ने पुत्तूर से मौजूदा विधायक संजीव मठंदूर की जगह आशा तिम्मप्पा गौड़ा को उतारा है परन्तु पुत्तूर में भाजपा के टिकट के दावेदार हिंदू संगठनों के नेता अरुण कुमार पुत्तिल ने बगावत कर दी है। इसके अलावा भाजपा में रह चुके अशोक कुमार राय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला है, हिंदू संगठनों का समर्थन प्राप्त करने वाले पुत्तिल का चुनाव लडऩा भाजपा के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
उडुपी जिले में भाजपा का बड़ा प्रयोग
उडुपी जिले में पिछली बार भाजपा ने पांच में से पांच सीटों पर जीत हासिल की थी परन्तु इस बार उसने उन पांच में से चार विधायकों को टिकट नहीं देकर नए चेहरों को प्राथमिकता दी है। यह राज्य के लिए एक बड़ा प्रयोग है। भाजपा ने कुंदापुर, बयंदूर, उडुपी, कापु में मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है। कुंदापुर में हालाडी श्रीनिवास शेट्टी ने खुद चुनावी राजनीति से सन्यास की घोषणा की। इसी के चलते उनके शिष्य किरण गोडगी को टिकट मिला है परन्तु कांग्रेस ने यहां बंट समुदाय के दिनेश हेगड़े को टिकट दिया है और यहां बंट समुदाय के वोट अधिक होने के कारण कांग्रेस उम्मीदवार को प्लस होने की संभावना है। बयंदूर से मौजूदा विधायक सुकुमार शेट्टी को हटाकर गुरुराज शेट्टी गंटिहोले को टिकट दिया है। उनके पीछे युवा शक्ति है, सुकुमार शेट्टी और हालाडी का समर्थन भी उन्हें जीत के प्रति आश्वस्त किया है।
भाजपा ने रघुपति भट्ट को टिकट नहीं दिया
कापु विधानसभा क्षेत्र से लालाजी मेंडन की जगह सुरेश शेट्टी गुरमे को टिकट दिया है। वे बंट समुदाय से हैं। यहां मोगवीर बड़ी संख्या में हैं। वोटों को लुभाने वालों की जीत तय है। वहीं उडुपी निर्वाचन क्षेत्र से वरिष्ठ विधायक रघुपति भट्ट को टिकट नहीं देकर हिंदू युवा नेता यशपाल सुवर्णा को टिकट दिया गया है। भाजपा ने यहां फिर से हिंदुत्व के ट्रम्प कार्ड का इस्तेमाल किया है। यह भाजपा के लिए किस हद तक वरदान साबित होगा इसी प्रतिक्षा करनी होगी।
दक्षिण कन्नड़ में ती जगहों पर भगवा नए चेहरे
दक्षिण कन्नड़ जिले की 8 सीटों में से भाजपा ने उल्लाल को छोडक़र सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस बार तीन नए चेहरों को मैदान में उतारा है। सुल्या में मंत्री एस अंगारा का टिकट काट कर भागीरथी मुरुल्या को टिकट दिया है। इससे तंग आकर एस अंगारा ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। साथ ही कहा है कि वे भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं करेंगे, जो भाजपा के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
उल्लाला में कितना प्रभाव होगा?
आशा तिम्मप्पा गौड़ा को पुत्तूर से टिकट देने से हिंदू नेता अरुण कुमार पुत्तिल ने बगावत कर दी है। उल्लाल में यूटी खादर के सामने सतीश कुम्पल को मैदान में उतारा है परन्तु अब सवाल यह है कि चुनाव में इनका कितना प्रभाव होगा? अन्य उम्मीदवारों में बेलतंगडी में हरीश पूंजा, मूडबिदिरे में उमानाथ कोट्यान, मेंगलूरु दक्षिण में वेदव्यास कामत, बंटवाल में राजेश नाइक और मेंगलूरु उत्तर में भरत शेट्टी ही उम्मीदवार हैं, जो फिर से चुने जाने की उम्मीद में हैं।
तटीय क्षेत्र में भाजपा के गढ़ में क्या सेंध लगा पाएगी कांग्रेस?
पिछली बार दो जिले में से कांग्रेस एक क्षेत्र में मात्र जीती थी। केवल उल्लाला ही भाजपा के हाथ से छूटा था। वहां यूटी खादर का निर्वाचित हुए थे परन्तु इस बार कांग्रेस में कुछ दम और जोश बड़ा है। मूडबिदिरे में मिथुन राय, मेंगलूरु दक्षिण में जेआर लोबो, बंटवाल में रमानाथ राय, बयंदूर में गोपाल पुजारी, कापु निर्वाचन क्षेत्र में विनय कुमार सोरके ने कांग्रेस में उम्मीद जगाई है। इस के साथ ही उल्लाला भी कांग्रेस के पाले में आनेस की कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है।
तटीय दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में बड़ा प्रयोग करने वाली भाजपा कहां तक सफल होगी? क्या इस बार कांग्रेस भाजपा का गढ़ तोड़ेगी? पुत्तिल और मुतालिक भाजपा के लिए किस हद तक चुनौती साबित होंगे, इसका जवाब 13 मई को मिलेगा। तब तक हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा।