प्रतिष्ठा के साथ बड़ी चुनौती
हुब्बल्ली.
कुंदगोल जिला राजनीति में व्यक्तिगत चुनाव के लिए जाने जाने वाले निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा के साथ-साथ एक बड़ी चुनौती लेकर आया है।
पिछले 15 (एक उपचुनाव मिलाकर) चुनाव में यहां सिर्फ एक बार ही कमल (भाजपा) का झंडा फहराया है।
भाजपा नेता बी.एस. येडियूरप्पा के रिश्तेदार एस.आई. चिक्कनगौडर 2008 में भाजपा की ओर से चुने गए थे। इसके बाद हुए दो आम चुनाव और एक उपचुनाव कांग्रेस ने जीता है। भाजपा से कड़ी टक्कर के बावजूद कांग्रेस तीन से चार हजार वोटों के अंतर से जीतती रही है। इसके लिए पूर्व मंत्री. सी.एस. शिवल्ली का करिश्मा भी वजह है।
चिक्कनगौडऱ की चुनौती
इस क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म करने को आगे आई भाजपा के लिए अपनी ही पार्टी के चिक्कनगौडऱ सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। निर्वाचन क्षेत्र के सबसे मजबूत टिकट के दावेदार चिक्कनगौडर को दरकिनार कर पार्टी ने एमआर पाटिल को मैदान में उतारा है।
टिकट गंवाने के बाद चिक्कनगौडर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। वे जीत के लिए पसीना बहा रहे हैं। उन्हें कांग्रेस टिकट के दावेदारों के एक गुट ने समर्थन दिया है। इससे भाजपा की नींद उड़ी हुई है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा को टिक्करगौडर को मनाने की आवश्यकता का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए बी.एस. येडियूरप्पा के जरिए मनाने की कोशिश की जा रही है।
वोट बंटने का डर
निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा और निर्दलीय दोनों उम्मीदवार लिंगायत समुदाय से हैं। भाजपा के टिकट की घोषणा का इंतजार कर रही कांग्रेस ने जाति का समीकरण कर कुरुबा समुदाय से कुसुमावती शिवल्ली को ही मैदान में उतारा है। स्थिति का फायदा उठाने की रणनीति बनाई गई है।
एक स्थानीय लिंगायत नेता ने कहा कि भाजपा में रह चुके चिक्कनगौडर का अपना लिंगायत वोट बैंक है। ेनिर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे टिक्कनगौडर का लिंगायत वोटों को आकर्षित करने में कोई संदेह नहीं है, जिस पर भाजपा भरोसा करती है। लिंगायत वोटों के विभाजन से कांग्रेस को फायदा होगा।
क्षेत्र में इस बात की चर्चा थी कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मैदान में उतरने वाले हैं। उनकी जीत की नींव रखने के लिए भाजपा के चुनावी चाणक्य अमित शाह ने भी यहां रोड शो किया था। बाद के राजनीतिक घटनाक्रमों ने उस समीकरण को पलट दिया। टिकट की बगावत अब पार्टी की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई है। पार्टी की जीत का समीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि भाजपा कैसे मैनेज करती है।
चिक्कनगौडर को मनाने की कोशिश
भाजपा उम्मीदवार एम.आर. पाटिल ने विश्वास जताया कि पार्टी छोडक़र निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक एस.आई. चिक्कनगौडर को पार्टी नेता मनाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं भी उनसे मुलाकात कर बात करूंगा। वे अपना नामांकन पत्र वापस ले लेंगे और भाजपा का समर्थन करेंगे।

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