11वीं सदी के चालुक्य शासक विक्रमादित्य षष्टम के समय का मंदिर
हुब्बल्ली. अरेमलेनाडु के नाम से जाने जाने वाले कलघटगी तालुक में एक प्राचीन अडवी (जंगल) कल्लप्पज्जा मंदिर की खोज की गई है। ऐतिहासिक शोधकर्ताओं का मानना है कि कलघटगी क्षेत्र में लगभग 12,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र है। देवीकोप्पा, संकटिकोप्पा, तंबूर, कूडलगी के अलावा आसपास के दर्जनों गांव वन क्षेत्र से सटे हैं। तालुक के वन क्षेत्रों में प्राचीन मंदिर और जकणाचारी की शिल्पकला विराजमान हैं।

11वीं शताब्दी का अवशेष

कलघटगी से 18 किमी दूर स्थित बेंडलगट्टी गांव के वन क्षेत्र में 11वीं सदी के चालुक्य शासक छठे विक्रमादित्य के समय के मंदिर के अवशेष मिले हैं। इस क्षेत्र में प्राचीन काल का कलमेश्वर मंदिर, पत्थर की दीवार, स्थावरलिंग पीठ, प्राचीन कन्नड़ लिपि, कल्याण चालुक्य काल का, गौ शिलालेख, नंदी मूर्ति और दर्जनों साक्ष्य मिले हैं।

कल्लप्पज्जा के नाम से जाना जाता है मंदिर

तालुक के बेंडलगट्टी वन क्षेत्र में पाया गया प्राचीन कल्मेश्वर मंदिर पूरे गांव में अडवी कल्लप्पज्जा के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक कोई उचित सड़क नहीं है, इसलिए साल में एक बार श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और पूजा करते हैं।

जीर्णोद्धार को आगे आए सरकार

शोधकर्ताओं ने बताया कि यह मंदिर चालुक्य काल का मंदिर है। श्रध्दालुओं की मांग को पूरा करने वाले इस प्राचीन मंदिर के जीर्णोध्दार के लिए विधायक और सरकार को आगे आना चाहिए। इसके जरिए इसे ऐतिहासिक स्थल एवं पर्यटन स्थल बनाना चाहिए।

पुंडलीक दडेद, ग्रामीण, बेंडलगट्टी

संरक्षण की पहल करे राज्य सरकार

बेडलगट्टी वन क्षेत्र में शोध किया गया है। अकेले इस गांव के अलावा, तालुक के दर्जनों अन्य गांवों में भी प्राचीन मंदिर, शिलालेख और मूर्तियां देखी जा सकती हैं। मंदिरों के ऐसे प्राचीन निशानों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार को पहल करनी चाहिए।

प्रो. के.सी. मल्लिगवाड, इतिहासकार

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