
गहलोत ने की आलोचना
हुब्बल्ली. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आलोचना की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए देश के शासन से ज्यादा चुनाव महत्वपूर्ण है। देश में जहां भी चुनाव होते हैं, वे प्रचार करने जाते हैं।
शहर में बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में गहलोत ने कहा कि ‘ये लोग जो धर्म और जाति को सामने रखकर राजनीति कर रहे हैं, उन्हें एक दिन बेरोजगारी, भूख और किसानों की दुर्दशा का एहसास होगा।
उन्होंने कहा कि उनका इरादा है कि देश में बीजेपी एक ही पार्टी होनी चाहिए। ऐसी तानाशाहीपूर्ण चाल चलने वाले हिटलर की विचारधाराएं दफन हो चुकी हैं। वर्तमान में, कर्नाटक के लोग कांग्रेस शासन चाहते हैं। कांग्रेस यह चुनाव जीतकर देश को नया संदेश देगी।
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हैं परन्तु उनके आस पास ही भ्रष्टाचार करने वाले लोग हैं। इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है? वे विपक्ष को डराने के लिए प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और सीबीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। आगामी दिनों में उचित सबक सीखेंगे।
कांग्रेस के घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गहलोत ने कहा कि समाज में शांति भंग करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो यह अदालत की अवमानना होगी। बीजेपी बजरंगी और श्री राम के नामों का दुरुपयोग कर राजनीति कर रही है। धर्म और भगवान के प्रति उनकी सच्ची भक्ति नहीं है। उन्होंने हमारे देवताओं का नाम बदनाम किया है। उन्होंने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे को सही ठहराया।
कांग्रेस ने राजस्थान में अपने घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं किया है कहकर बीजेपी की ओर से लगाए गए आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गहलोत ने कहा कि यह एक झूठा आरोप है। हमने राजस्थान में 85% वादे पूरे किए हैं। राजस्थान सरकार घोषणापत्र में किए गए मुफ्त योजनाओं के वादों को पहले ही पूरा कर चुकी है। ओपीएस लगा हुआ है। राजस्थान देश में आर्थिक विकास की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है। जीडीपी भी संतुलित है। चिरंजीवी योजना के तहत लोगों को स्वास्थ्य बीमा, 25 लाख रुपए तक का चिकित्सा व्यय और 10 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा लोगों को उपलब्ध कराया है। वे दिखा दें कि अधूरा वादा कौनसा है। कांग्रेस शासित राज्यों और भाजपा शासित राज्यों में चुनाव पूर्व किए गए वादों को किस हद तक पूरा किया गया, इस पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकारों को गिराकर सत्ता हासिल करना बीजेपी का मॉडल है। उन्होंने मध्य प्रदेश, गोवा, कर्नाटक में भी यही रणनीति अपनाई। राजस्थान में भी इस तरह के कई प्रयास किए गए परन्तु वे सफल नहीं हुए।
गहलोत ने कहा कि सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खादी कपड़ा अधिनियम और मनरेगा योजना कांग्रेस की देन है। इससे देश की छवि बदली है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस मूल के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं तो सोच सकते हैं कि वहां क्या स्थिति है।
पता नहीं देश किस दिशा में जा रहा है
गहलोत ने चिंता जताते हुए कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा रही है। देश किस दिशा में जा रहा है कोई नहीं जानता। पत्रकारों, लेखकों और सरकार की आलोचना लोकतंत्र के स्वाभाविक लक्षण हैं। अब केंद्र सरकार आलोचना को ही बर्दाश्त नहीं कर रही है। आलोचकों को जेल हो रही है। क्या देश की संघीय व्यवस्था खतरे में है’ इस सवाल का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि बिल्कुल सही है। देश पर शासन करने वालों ने जनता को भरम में रखा है। हमें देखना होगा कि ऐसा कब तक चलेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा विकास और स्थानीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने में विफल रही है। इसलिए उस पार्टी के नेता लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भावनात्मक मुद्दे उछाल रहे हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं को स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखकर चर्च को आने की चुनौती दी।
उन्होंने भाजपा के घोषणा पत्र में समान नागरिकता संहिता लागू करने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा पहले संविधान के अनुच्छेद 370, राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी), नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की बात कर रही थी। अब तो केंद्रीय गृह मंत्री भी इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे केवल चुनाव के लिए समान नागरिक संहिता, सीएए, एनआरसी चाहते हैं। राज्य का विकास और आर्थिक स्थिरता उसके लिए महत्वपूर्ण नहीं है।
एआईसीसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहन गुप्ता, आलोक शर्मा, जगदीश शेट्टर, प्रो. आई.जी. सनदी, अल्ताफ हुसैन हाल्लूर, महेंद्र सिंघी आदि उपस्थित थे।