नई दिल्ली. चुनाव आयोग ने हेट स्पीच के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने एक बार फिर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। आयोग ने कहा कि उम्मीदवारों को तब तक प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता, जब तक केंद्र सरकार हेट स्पीच या घृणा फैलाने को परिभाषित नहीं करती। इस मामले में आयोग सिर्फ आइपीसी या जनप्रतिनिधित्व कानून का उपयोग करता है। उसके पास किसी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का कानूनी अधिकार नहीं है।

हलफनामे में आयोग ने कहा कि हेट स्पीच और अफवाह फैलाने वाले किसी विशिष्ट कानून के अभाव में वह आइपीसी के विभिन्न प्रावधानों लागू करता है। समय-समय पर एडवाइजरी जारी कर पार्टियों से ऐसा काम करने से दूर रहने की अपील की जाती है। यह चुनाव आचार संहिता का भी हिस्सा है। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। अदालत ने दोनों से तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा था। भड़काऊ व घृणा फैलाने वाले भाषण को लेकर भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की थी। इसमें विधि आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का निर्देश जारी करने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है।

कार्रवाई में मौजूदा कानून सक्षम नहीं

आयोग ने हलफनामे में कहा कि हेट स्पीच और भड़काऊ भाषण देने वालों पर समुचित कार्रवाई करने में मौजूदा कानून सक्षम नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में समुचित आदेश देना चाहिए। विधि आयोग ने 2017 में सौंपी 267वीं रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि आपराधिक कानून में हेट स्पीच को लेकर जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए।

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