दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके हैं लोग
हुब्बल्ली. नवलगुंद तालुक में चुनाव का माहौल खत्म हो गया है, आब जीवित समस्याओं की ओर रुख करना है। दशकों से लोगों को जिस परेशानी से गुजरना पड़ रहा है, उसका समाधान करने की जरूरत बढ़ गई है।
तालुक के गुडि़सागर गांव बाढ़ का शिकार हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.एस. येडियूरप्पा ने वहां मौजूद सभी लोगों को दूसरी सुरक्षित जगह पर स्थानांतरित किया था।
स्थानांतरित निराश्रितों के घरों को बिजली मिल गई है, परन्तु बगल में मकान बनाने वाले 10-15 किसान परिवारों के घरों को बिजली नहीं मिली है। सरकारी नियमों के अनुसार अनुमति प्राप्त कर घर को बनाया है। सरकार की वाजपेयी योजना के अनुदान में ही मकान बनवाने वाले भी है परन्तु आज भी बिजली नहीं है।
दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके हैं लोग
अपने घरों में बिजली नहीं होने को लेकर हेसकॉम और ग्रम पंचायत को ज्ञापन सौंपकर दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर लोग थक चुके हैं। इसके बावजूद हेसकॉम विभाग को बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता के बारे में पता नहीं होने दुर्भाग्य की बात है। उनके घर गुडि़सागर गांव से स्थानांतरित घरों की ओर जाने वाली सडक़ से सटे हुए हैं और वे अंधेरे में जीवन गुजार रहे हैं। इन घरों को ग्राम पंचायत की ओर से सभी सुविधाएं दी गई हैं। हाल ही में जलजीवन मिशन के तहत पानी की सुविधा दी है परन्तु शाम होने पर मात्र मोमबत्ती ही सहारा बनी हुई है।
लापरवाही पर आक्रोश
स्थानीय लोगों की शिकायत है कि ग्राम पंचायत ने आवश्यक अनुदान में बिजली उपलब्ध नहीं कराकर 7-8 वर्षों से अन्याय कर रहा है। हेसकॉम विभाग में कई योजनाएं हैं, इनका उपयोग करके भी बिजली उपलब्ध नहीं करके लापरवाही बरती जा रही है।
स्थानीय लाभार्थियों ने बिजली के लिए ज्ञापन सौंपने पर हेस्कॉम विभाग ने 1.50 लाख रुपए जमा करने का आदेश दिया था। इसके लिए जिस ग्राम पंचायत को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, उसने आंखें मूंद ली हैं। जरूरत हमारी है कहकर स्थानीय निवासियों ने ही 50 हजार रुपए जुटाकर दिए एक साल बीतने के बाद भी अब तक बिजली देखने को नहीं मिली है। एक तरफ राज्य में बहुमत के साथ सत्ता में आने को तैयार कांग्रेस ने 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है तो वहीं यहां पैसों का भुगतान करने को तैयार होने के बावजूद बिजली नहीं देना विडंबना है।
ऋण लेकर दिए हैं 50 हजार रुपए
हम बहुत गरीब लोग हैं। बिजली के बिना टिन के मकान में रहते हैं। दैनिक बिजली का क्या करें इसी पर चर्चा होती है। हेस्कोम विभाग ने हमारे घरों की ओर बिजली के खंभे लगाने के लिए 1.50 लाख रुपए मांगे हैं। यहां रहने वालों ने ऋण लेकर 50 हजार रुपए दिए हैं इसके बाद भी बिजली नहीं आई है।
–शंकरप्पा अंदानेप्पा दोडमनी, निवासी, गुडि़सागर का बाहरी इलाका
अंधेरे में गुजार रहे हैं जीवन
हम यहां 7-8 साल से रह रहे हैं। ग्राम पंचायत, हेस्कॉम हमारी समस्या नहीं सुन रहे हैं। हम किसानों को बच्चों के साथ अंधेरे में जीवन गुजार रहे हैं। हमें रोजाना कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
–गुरुनाथ बागूर, निवासी, गुडि़सागर का बाहरी इलाका
