10 महीने बाद भी उपयोगकर्ताओं की संख्या 90 से 100 तक सीमित
हुब्बल्ली. हुब्बल्ली-धारवाड़ जुड़वां शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत साइकिल सवारी की शुरुआत को 10 महीने हो चुके हैं परन्तु उपयोगकर्ताओं की संख्या उम्मीद के मुताबिक बढ़ी नहीं है। मलेशिया से लाई गई 340 साइकिलों को रखने के लिए शहर में 34 साइकिल स्टेशन बनाए गए हैं। अब तक 2,356 स्मार्ट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। जहां सप्ताहांत और विशेष अवसरों पर प्रतिदिन 200 से अधिक लोग साइकिल का उपयोग करते हैं, वहीं अन्य दिनों में यह संख्या 90 से 100 तक सीमित रहती है।

उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई: ट्रिनिटी टेक्नोलॉजीज सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस के योजना प्रबंधक महेश ने बताया कि पिछले जनवरी तक रोजाना 120 से 130 लोग साइकिल चलाते थे। बाद में तापमान बढ़ा, इसके बाद बारिश हुई। शक्ति योजना के बाद लड़कियां सरकारी बसों में ज्यादा सफर कर रही हैं। इसलिए, साइकिल की सवारी में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है।

योजना का लाभ उठाना चाहिए

उन्होंने बताया कि जिनके पास साइकिल नहीं है, बच्चे, फिटनेस के शौकीन लोग इन साइकिलों का इस्तेमाल करते हैं। साइकिल चलाने के लिए स्मार्ट कार्ड प्राप्त करने के लिए 300 रुपए का शुल्क है, जिसमें से 100 बीमा, 100 रुपए पंजीकरण के लिए उपयोग के तौर पर, 100 की करेंसी दी जाती है। एक घंटे की यात्रा के लिए 5 रुपए शुल्क है। करेंसी खत्म होने पर रिचार्ज करा सकते हैं। एक साल के बाद 200 रुपए नवीनीकरण शुल्क का भुगतान करने पर 100 का रिचार्ज भी मिलेगा। अधिक लोगों को ऐसी अच्छी योजना का लाभ उठाना चाहिए।

इन्हें कोई नुकसान नहीं होगा
उन्होंने बताया कि साइकिलें भी अच्छी गुणवत्ता वाली हैं, जंग रहित और पंचर रहित हैं। भले ही यह स्थिर खड़ी रहे, इन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। इसे अच्छी स्थिति में रखने के लिए अक्सर छोटी-मोटी मरम्मत की जाती है।

सवारी योजना के शुरुआती दिनों में लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। उसके बाद भारी बारिश के कारण साइकिल चलाने वालों की संख्या कम हो गई। अभी थोड़ी बढ़ोतरी हुई है। इसके इस्तेमाल से होने वाले फायदों के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा की जा रही है और कई सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।

सुजय, आईटीसी प्रबंधक, स्मार्ट सिटी योजना

साइकिल उपयोग से प्राप्त होने वाला आय कम है। योजना के तहत विभिन्न विभागों में 25 लोग काम कर रहे हैं। स्मार्ट सिटी योजना के तहत पृथक राशि आरक्षित की गई है।

महेश, प्रबंध निदेशक, ट्रिनिटी टेक्नोलॉजीज

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