राज्य में बिना चिन्हित 398 नई जातियों का चला पता

सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में जानकारी

हुब्बल्ली. पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से 2015 में राज्य में किए गए सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण के दौरान 398 नई जातियों की पहचान की गई, जिनकी पहले पहचान नहीं की गई थी।

इसके अलावा, सर्वेक्षण के दौरान 2,53,954 लोगों ने अपनी जाति बताने से इनकार कर दिया। 1,34,319 लोगों ने दावा किया कि वे किसी भी जाति से संबंधित नहीं हैं।

एच. कांतराज की अध्यक्षता वाली पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से किए गए इस सर्वेक्षण के आंकड़ों का अध्ययन कर के. जयप्रकाश हेगड़े की अध्यक्षता वाले आयोग की ओर से राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में यह जानकारी निहित है।

आयोग ने ‘डाटा अध्ययन रिपोर्ट-2024’ के पृष्ठ 112 से 163 पर पिछड़ी जातियों एवं समुदायों की श्रेणीवार पुनर्वर्गीकरण सूची उपलब्ध कराई है। सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को श्रेणी 1ए, 1बी, सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को श्रेणी 2ए, 2बी तथा पिछड़ी जातियों को श्रेणी 3ए, 3बी के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है तथा प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत लाई गई जाति का नाम तथा उस जाति की कुल जनसंख्या दी गई है।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उस सूची के अनुसार, श्रेणी 1ए में 147, श्रेणी 1बी में 386, श्रेणी 2ए में 363, श्रेणी 2बी में मुस्लिम और उपजातियां, श्रेणी 3ए में 85 तथा 3बी में 109 जातियां हैं। इन सभी श्रेणियों में 200 से कम जनसंख्या वाली जातियों की कुल संख्या 47 है। श्रेणी 1ए में 200 से कम जनसंख्या वाली तीन जातियां हैं, तो श्रेणी 1बी में केवल पांच लोगों वाली मरुत्तुवर और 11 लोगों वाली रावल जाति समेत 200 से कम जनसंख्या वाली 16 जातियां हैं। श्रेणी 2ए में चार-चार लोगों वाली शिल्पी, ओस्ता और पट्टू नालकर, छह लोगों वाली नम्बिशन और साथ लोगों वाली कोट्टिया समेत 200 से कम लोगों वाली 17 जातियां हैं।

श्रेणी 3ए में 200 से कम जनसंख्या वाली तीन जातियां हैं, जबकि श्रेणी 3बी में 200 से कम जनसंख्या वाली आठ जातियां हैं, जिनमें केवल तीन लोगों वाली लिंगदार जाति, नौ लोगों वाली वीरशैव मल्लावर जाति और 11 लोगों वाली वीरशैव जंगम जाति शामिल हैं, जो लिंगायत उप-समूहों के अंतर्गत आती हैं।

आयोग ने बताया कि राज्य भर में 1,35,35,773 घरों में सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान 180 अनुसूचित जातियों और 105 अनुसूचित जनजातियों समेत 1,351 जातियों, समुदायों तथा अब तक अज्ञात जातियां, जो अपनी जाति नहीं जानते, जो किसी भी जाति से संबंधित नहीं हैं, तथा जिन्होंने अपनी जाति बताने से इनकार करने वाले समेत कुल 5,98,14,942 लोगों से डेटा एकत्रित किया गया है।

आयोग ने अध्ययन रिपोर्ट में बताया कि घर-घर सर्वेक्षण के दौरान, प्रश्नावली सहित 54 विभिन्न मानदंडों का उपयोग प्रत्येक नागरिक की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए किया गया, जिसमें जनसांख्यिकीय, शैक्षिक, आर्थिक, रोजगार, पारंपरिक व्यवसाय, आय, सामाजिक स्थिति और संपत्ति/परिसंपत्ति स्वामित्व शामिल थे। प्रत्येक जाति का नाम, उस जाति के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिवारों की संख्या, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या, उस जाति में पुरुष और महिलाएं तथा लैंगिक अल्पसंख्यकों सहित जानकारी एकत्रित कर अलग-अलग सूचीबद्ध की गई है।

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