कन्नड़ की पहचान दर्शाने का अवसर
डॉ. महेश जोशी ने दी जानकारी
बल्लारी. कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष नाडोज डॉ. महेश जोशी ने कहा कि कन्नड़ भाषा एक स्वतंत्र भाषा है और इसका अपना इतिहास है। बल्लारी और विजयनगर जिले के कन्नड़ प्रशंसकों को कन्नड़ की पहचान को दर्शाने का अवसर मिला है।
बल्लारी में दिसंबर में आयोजित 88वें अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन की तैयारी को लेकर शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जोशी ने कहा कि दिसंबर में बल्लारी में साहित्य सम्मेलन आयोजित करने के लिए राज्य सरकार को अवगत करा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन एक भाषा महोत्सव और कन्नड़ मेले की तरह है। 68 वर्षों के बाद बल्लारी और विजयनगर जिलों सहित अखंड जिले में अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। दोनों जिलों के कन्नड़ लेखकों, विभिन्न कन्नड़ समर्थक संगठनों और मीडिया के आपसी सहयोग और साझेदारी की जरूरत है।
जोशी ने कहा कि बल्लारी और विजयनगर जिलों सहित जिलाधिकारियों, वरिष्ठ लेखकों और कन्नड़ समर्थक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। सम्मेलन के लिए स्थल, तिथि और अन्य आवश्यक उपायों पर जिला प्रभारी मंत्री और जिला प्रशासन के साथ चर्चा की जाएगी। इसे बाद में मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कई वर्षों के बाद, इस क्षेत्र में कन्नड़ साहित्य सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोगों के भाग लेने की उम्मीद है। इसलिए, हमने इस संबंध में सरकार से अनुदान की मांग का प्रस्ताव रखा है। जिला प्रशासन भी आने वाले दिनों में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगा।
संवाददाता सम्मेलन में बल्लारी, हासन, चित्रदुर्ग, हावेरी, दावणगेरे जिलों के कन्नड़ साहित्य परिषद के जिला अध्यक्ष डॉ. निष्ठी रुद्रप्पा, के.एम. शिवस्वामी, मल्लेश गौड़ा, लिंगय्या बी. हिरेमठ, वामदेवप्पा और अन्य मौजूद थे।