
प्रतिपक्ष के नेता सिद्धरामय्या ने दी सलाह
बेलगावी. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता सिद्धरामय्या ने कहा है कि किसी भी पार्टी की सरकार हो उसे संविधान के अनुसार चलना चाहिए। हिंसा, द्वेष या फिर असहिष्णुता को मौका नहीं देना चाहिए।
वे तालुक के हिरेबागेवाडी के समीप अरलीकट्टी गांव में शनिवार को आयोजित तोंटदार्य विरक्त मठ के शिवमूर्ति स्वामी निरंजन के पीठारोहण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बसवण्णा समेत शिवशरण (बसवण्णा का अनुयायी) की विचारधारा हर समय प्रासंगिक है। समाज में आज भी जाति व्यवस्था के कारण असमानता है। सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक तथा राजनीतिक असमानता है।
उन्होंने कहा कि समाज में मौजूद बुराइयों को दूर करने के लिए बसवण्णा के नेतृत्व में शरणों ने कोशिश की। यह संदेश दिया कि सभी समाज सुधारक मनुष्य हैं, उन्हें मनुष्य बनकर जीना चाहिए। जाति का संक्रमण मिटाने तथा मनुष्य के बीच की खाई को खत्म करने की कोशिश की। इस उम्मीद में सम समाज के सपने को देखा था।
सिध्दरामय्या ने कहा कि किसी भी धर्म का वैभवीकरण नहीं करना चाहिए। यह मनुष्य के हित के लिए है, इस लिए शरणों ने दया ही धर्म का मूल कह कर व्याख्या की है। मनुष्य का मनुष्य को द्वेष करना धर्म नहीं है। आपस में एक दूसरे का सम्मान करना ही श्रेष्ठ धर्म है।
उन्होंने कहा कि गौतम बुध्द, बसवादी शरण आदि के सिध्दांतों को आत्मसात कर डॉ. बीआर अम्बेडकर ने इन्हें संविधान में अपनाया है। जाति, धर्म पर विभाजित करके नहीं देखना चाहिए। दूसरे धर्मों के बारे में सहिष्णुता रहनी चाहिए। अब समाज में चल रहे उलझनों को प्रेरणा-समर्थन देना संविधान विरोधी है। संविधान के बचने पर सभी बचेंगे वरना श्रेणीकृत व्यवस्था फिर से आएगी। जाति, असमानता के खत्म हुए बिना राज्य व देश समृध्द नहीं होगा।
कार्यक्रम में तोंटदार्य मठ के तोंटद सिध्दराम स्वामी, हुक्केरी हिरेमठ के चंद्रशेखर शिवाचार्य स्वामी, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, कार्याध्यक्ष सतीश जारकिहोली, विधायक लक्ष्मी हेब्बालकर, महांतेश कौजलगी, विधान परिषद सदस्य चन्नराज हट्टिहोली आदि उपस्थित थे।