राष्ट्रीय राजमार्ग 48 की स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की मांगसमाज सेवी महेंद्र सिंघी।

महेंद्र सिंघी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
हुब्बल्ली. भारत सरकार के सडक़ परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के पूर्व सदस्य एवं समाज सेवी महेन्द्र सिंघी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सडक़ परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर हुब्बल्ली-बेलगावी-कोल्हापुर-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग-48 की दयनीय स्थिति को अवगत कराते हुए शीघ्र सुधारने की मांग की।
पत्र में गहरी चिंता और निराशा व्यक्त करते सिंघी ने लिखा है कि हुब्बल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 होते हुए पुणे मात्र 5 घंटे में पहुंचा जा सकता है परन्तु आज इस राजमार्ग की हालत इतनी बदहाल हो गई है कि हुब्बल्ली से पुणे पहुंचने में 9 से 11 घंटे लग रहे हैं। 300 से 400 किलोमीटर तक की दूरी में यात्रा करना एक तरह दर्दनाक एवं असहनीय अनुभव है। यह राजमार्ग केंद्र सरकार की ओर से आम भारतीयों से किए गए विश्व स्तरीय सडक़ों के वादे से कोसों दूर है।
सिंघी ने बताया कि उन्हें हुब्बल्ली-बेलगावी से पुणे के लिए सुविधाओं से लैस महंगी कार में सफर करने पर भी काफी परेशानी हुई। भारी बारिश की वजह से इस मार्ग पर अनेक जगहों पर गहरे गड्ढे बने हुए हैं। इस मार्ग पर घुमाव के कोई उचित संकेतक भी नहीं हैं, जिससे इस मार्ग पर सफर करना जोखिम भरा है। सर्विस रोड पर पानी भरा हुआ था, उस पर भी गहरे गड्ढे बने हुए हैं, जिसके कारण जान हथेली पर लेकर यात्रा करनी पड़ी। लगातार बारिश ने पहले से क्षतिग्रस्त सडक़ों पर मिट्टी को ढीला कर दिया है, जिससे यह सडक़ दुर्घटनाओं को दावत दे रही है।
उन्होंने लिखा कि हुब्बल्ली-कोल्हापुर-पुणे-मुंबई, हुब्बल्ली-शिरडी, हुब्बल्ली-अहमदाबाद मार्ग पर अनेक निजी व सरकारी बसे और निजी वाहन चलते हैं। बेलगावी-मुंबई, इचलकरंजी-मुंबई सहित अन्य शहरों के लिए सफर करने वाले यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पहले कम समय लगता था परन्तु वर्तमान में यह समय दोगुना हो गया है, जिससे आम जनता को बहुत परेशानी हो रही है।
सडक़ निर्माण कार्य प्रगति पर है, परन्तु काम की गति बहुत धीमी है। कार्य इसी रफ्तार में चलता रहा, तो इस कार्य को पूरा होने में और दो साल लग सकते हैं। सडक़ों की वर्तमान स्थिति को देखकर यात्री यह सोचने पर मजबूर हो गया है कि उसके टोल का शुल्क कहां जा रहा है? सामान्यत: टोल शुल्क का उद्देश्य सडक़ों के रखरखाव की लागत को समायोजित करने का होता है, जिससे समय, ईंधन की बचत होती है और यात्रियों को सुविधा मिलती ह परन्तु इस सडक़ पर इनमें से किसी भी मापदंड पूरा नहीं किया जा रहा है। खराब सडक़ों की वजह से वाहन क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, ईंधन की खपत बढ़ रही है और सबसे गंभीर बात यह है कि इन खतरनाक सडक़ों की वजह से लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है।
सिंघी ने सवाल किया कि ऐसी स्थिति में, क्या यह सोचना गलत होगा कि जब सडक़ों की गुणवत्ता उचित नहीं है, तो जनता को भारी टोल शुल्क क्यों देना चाहिए? 6वीं लेन की सडक़ के उन्नयन का हार्दिक स्वागत है, परन्तु काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। भारी यातायात वाली इस तरह की परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए समय सीमा पर पूरा करना चाहिए। यह परियोजना पिछले 2-3 वर्षों से चल रही है। इस मामले पर विशेष ध्यान देते हुए सडक़ निर्माण में तेजी लाने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। साथ ही सभी राजमार्गों का रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने अनुरोध किया कि कि जब तक सडक़ों की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो जाता, तब तक टोल शुल्क की वसूली बंद करना चाहिए, इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। राजमार्गों की स्थिति के बारे में त्वरित कार्रवाई करने करनी चाहिए।

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