हुब्बल्ली अंकोला रेलवे लाइन, दपरे ने तैयार की नई डीपीआरहुब्बल्ली अंकोला रेलवे लाइन

हुब्बल्ली. हुब्बल्ली-अंकोला रेल लाइन कर्नाटक की एक महत्वपूर्ण परियोजना है जो विभिन्न कारणों से विलंबित हो रही है। अनुमान है कि उत्तर कर्नाटक और उत्तर कन्नड़ को जोडऩे वाली इस परियोजना से पर्यटन को भी लाभ होगा।
वन क्षेत्र के कारण इस परियोजना को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। वर्तमान में, दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) ने इस परियोजना पर एक नई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की है।
रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिण पश्चिम रेलवे हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे लाइन के लिए 15 फरवरी को रेलवे बोर्ड को नई डीपीआर सौंपेगा। 164 किमी लंबी योजना को विभिन्न कारणों से विरोध का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा रेलवे लाइन पश्चिमी घाट क्षेत्र से होकर गुजरने के कारण इस परियोजना का विरोध करते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई थी।
हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे लाइन का प्रस्ताव पहली बार 1996-97 में तैयार किया गया था। अब तीसरी बार परियोजना का नक्शा बदलकर एक और डीपीआर तैयार की गई है। अधिकारियों के अनुसार, परियोजना को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि रेलवे लाइन अब राष्ट्रीय राजमार्ग 63 के साथ-साथ गुजरेगी।

595 हेक्टेयर वन भूमि का अधिग्रहण किया जाना था

पिछली डीपीआर के अनुसार हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे लाइन के लिए 595 हेक्टेयर वन भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। इसके अलावा, रेलवे लाइन काली टाइगर रिजर्व और हाथी गलियारे से होकर गुजर रही थी। परियोजना के लिए तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान लगाया गया था कि 1000 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी।

डिजाइन में बदलाव किया गया है

राष्टीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) ने 2022 में हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे लाइन स्थल का दौरा किया था। बाद में कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने के बाद अब डिजाइन में बदलाव किया गया है और नई डीपीआर तैयार की गई है परन्तु नई परियोजना के लिए कितनी वन भूमि की आवश्यकता है? इस बारे में अभी भी निश्चित रूप से पता नहीं चल सका है।

राष्ट्रीय राजमार्ग के बगल से गुजरेगी रेलवे लाइन

दक्षिण पश्चिम रेलवे के अधिकारियों के अनुसार हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे लाइन के लिए नई डीपीआर का तकनीकी कार्य पूरा हो चुका है। इसे 15 फरवरी को रेलवे बोर्ड को सौंपा जाएगा परन्तु इसे एनबीडब्ल्यूएल की मंजूरी के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। नए डिजाइन के अनुसार, परियोजना के लिए कम पेड़ काटे जाएंगे। रेलवे लाइन मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग के बगल से गुजरेगी।

मंजूरी मिलने में और देरी होने की उम्मीद

नई डीपीआर दिसंबर 2024 में सौंपी जानी थी परन्तु इसमें दो महीने की देरी हुई है। रेलवे बोर्ड को डीपीआर के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी। इसलिए डीपीआर सौंपने के बाद भी उसे मंजूरी मिलने में और देरी होने की उम्मीद है।

परियोजना का हो रहा विरोध

हुब्बल्ली-अंकोला 164 किमी मार्ग पर हुब्बल्ली और कलघटगी के बीच 34 किमी रेल पटरी बिछाई गई है। कुछ दिन पहले रेल राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने कहा था कि यह परियोजना 2027 तक पूरी हो जाएगी। योजना के अनुसार, यह रेलवे लाइन हुब्बल्ली से शुरू होकर कलघटगी, किरवत्ती, येल्लापुर, इडगुंडी होते हुए उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला तक पहुंचेगी परन्तु रेलवे लाइन वन क्षेत्र से होकर गुजरेगी, इस कारण से इस परियोजना का विरोध हो रहा है। इसके चलते इसके पूरा होने में देरी हो रही है।

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