देवरगुड्डा स्थित मालतेश मंदिर
छह करोड़ रुपए में शुरू हुआ था कार्य
मंदिर के पत्र पर सरकार ने नहीं दी प्रतिक्रिया
हावेरी. जिले के राणेबेन्नूर तालुक के देवरगुड्डा स्थित मालतेश मंदिर में श्रद्धालुओं के निकास फ्लाईओवर का निर्माण एक साल से रुका हुआ है और अभी तक इसे फिर से शुरू नहीं किया गया है। इसके कारण श्रध्दालुओं की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है।
अनुदान की कमी और राज्य सरकार की विलम्ब नीति के कारण काम रुका हुआ है और मंदिर समिति की ओर से काम शुरू करने के बार-बार अनुरोध के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है। काम बंद होने के कारण इस वर्ष भी हर वर्ष की तरह एक ही मार्ग से श्रद्धालुओं के आगमन व प्रस्थान की व्यवस्था की गई है। इससे श्रद्धालुओं के यातायात में फंसने की स्थिति पैदा हो रही है।
देवरगुड्डा के मालतेश भगवान के श्रध्दालु राज्य और राज्य के बाहर भी हैं। जो लोग देवरगुड्डा आते हैं वे विजयनगर जिले के हुविनहडगली तालुक के मैलार में मैलारलिंगेश्वर मंदिर जाते हैं। श्रध्दालुओं का मानना है कि मालतेश और मैलारलिंगेश्वर भाई हैं। भारत पूर्णिमा के दौरान दोनों तरफ आयोजित होने वाले मेलों में लाखों लोग भाग लेते हैं।
इच्छाशक्ति का अभाव
मैलार आने वाले अधिकांश लोग सबसे पहले देवरगुड्डा जाते हैं। मालतेश मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तथा इनके पूर्ण समाधान के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में इच्छाशक्ति का अभाव स्पष्ट नजर आ रहा है।
जाम के स्थायी समाधान की मांग
मालतेश मंदिर में वर्तमान में केवल एक ही प्रवेश द्वार है। मंदिर में प्रवेश और निकास का केवल एक ही रास्ता है। भारत पूर्णिमा उत्सव के दौरान मंदिर आने वाले लोग यातायात में फंस रहे हैं। मंदिर प्रशासन पुलिस और निजी कर्मियों के माध्यम से अस्थायी रूप से यातायात को नियंत्रित कर रहा है परन्तु वे शुरू से ही इस जाम के स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।
2021 में शुरू हुआ कार्य
मालतेश मंदिर में प्रवेश करने और बाहर निकलने वाले श्रध्दालुओं के निकास की सुविधा के लिए फ्लाईओवर बनाने की योजना बनाई गई थी। इरादा यह था कि मंदिर के पीछे सीढिय़ों के साथ 300 फुट लंबा फ्लाईओवर बनाया जाए ताकि श्रद्धालु सडक़ तक पहुंच सकें। राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्य कराने के लिए 6 करोड़ रुपए का अनुदान भी प्रदान किया था।
2021-22 में काम शुरू हुआ था। जिस पहाड़ी पर मंदिर स्थित है, वहां से सडक़ तक कंक्रीट की सीढिय़ां बनाई गई हैं परन्तु जिस इंजीनियर ने इस काम का ठेका लिया था, उसकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके बाद से स्थगित कार्य अभी तक पुन: शुरू नहीं हो पाया है। एक ही गेट से प्रवेश और निकास महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। काम फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है।
दूसरी बार निविदा प्रक्रिया
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के निकास फ्लाईओवर के निर्माण की निविदा प्राप्त करने वाले इंजीनियर की मौत हो गई है। अब निविदा किसी और को दे कर काम जारी रखना चाहिए। जो खर्च हो चुका है उसका हिसाब लगाना चाहिए। यह सारी जानकारी सरकार को दे दी गई है।
श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा होगी
मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष एमए सत्तगी ने कहा कि सरकारी की ओर से देरी का बहाना बता रहे अधिकारियों से “आधे-अधूरे रुके हुए काम को शीघ्र शुरू करने की मांग को लेकर मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को कई पत्र लिखा है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि 6 करोड़ के साथ नए से तीन करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि शामिल कर कार्य को से पूरा करने की मांग को लेकर सरकार को प्रस्ताव सौंपा गया है परन्तु सरकार स्वयं इसमें देरी कर रही है। एक ही स्थान पर आगमन और प्रस्थान के कारण श्रद्धालुओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की स्थिति वर्णन से परे है। यदि फ्लाईओवर कार्य शुरू होकर उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाए तो निकास की समस्या हल हो जाएगी। यह फ्लाईओवर राणेबेन्नूर-गुत्तल और राष्ट्रीय राजमार्ग को जोडऩे वाली सडक़ से जुड़ता है। इससे श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा होगी।
अभी तक कोई जवाब नहीं मिला
उन्होंने कहा कि इस परियोजना में न केवल फ्लाईओवर का निर्माण शामिल है, बल्कि मंदिर परिसर में कंक्रीट बिछाने और टिन शेड की व्यवस्था भी शामिल है। इंजीनियर की मौत के बाद काम रोक दिया गया है। हम अधिकारियों से इसे पुन: शुरू करने का आग्रह कर रहे हैं। हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।