केवल तीन मार्ग शेष
हुब्बल्ली. रेल मंत्री ने हालही में कहा है कि देश में सभी रेलवे लाइनों का 2026 तक विद्युतीकरण कर दिया जाएगा और दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) जोन ने अपने अधिकार क्षेत्र में 92 प्रतिशत लाइनों का विद्युतीकरण कर लिया है। इस क्षेत्र में केवल तीन मार्ग बचे हैं। इनके भी एक वर्ष के भीतर पूरा होने की संभावना है।
दक्षिण पश्चिम रेलवे क्षेत्र में पहली विद्युतीकृत लाइन 1992 में चालू हुई थी। क्षेत्र के अधिकांश मार्ग अब विद्युतीकृत हो चुके हैं, जिससे डीजल पर निर्भरता काफी कम हो गई है। जोन में 201 जोड़ी ट्रेनों में से 128-130 जोड़ी से अधिक को विद्युतीकृत ट्रेनों में परिवर्तित किया गया है।
23 साल पहले विद्युतीकरण
दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन में रेलवे लाइन का विद्युतीकरण लगभग 23 वर्ष पहले किया गया था। इसके बाद करीब 16 साल तक रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण में ज्यादा प्रगति नहीं हुई। यह कार्य 2008-09 में पुन: शुरू हुआ और तब से लगातार जारी है, तथा इसमें महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 1992-93 में बेंगलूरु और जोलारपेट्टई के बीच लगभग 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन विद्युतीकृत क्षेत्र में पहली लाइन है। यह 1992 में ही चालू हुआ। बाद में, बैय्यप्पनहल्ली-येलहंका के बीच लगभग 16 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण किया गया था। इस मार्ग पर परिचालन 2009 में शुरू हुआ। रेलवे विद्युतीकरण का अधिकांश कार्य बेंगलूरु मंडल में ही किया गया था। 2016-17 में मैसूर मंडल में पहला रेलवे विद्युतीकरण कार्य शुरू किया गया था। रामनगरम-येलियूर के बीच 56 किलोमीटर और येलियूर-मैसूर के बीच 37 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण अप्रेल और दिसंबर 2017 में शुरू किया गया था। 2017-18 में, हुब्बल्ली मंडल में पहला विद्युतीकरण कार्य बल्लारी और तोरणगल्लू के बीच लगभग 36 किमी में किया गया था। यह मार्ग मार्च 2019 में चालू हो गया था। बाद में, तोरणगल्लू-रंजीतपुर, बल्लारी-रायदुर्ग और तोरणगल्लू-कारिगनूर विद्युतीकरण मार्गों का विस्तार किया गया था। दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के हुब्बल्ली, बेंगलूरु और मैसूर रेलवे मंडलों में रेलवे विद्युतीकरण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
92 प्रतिशत उपलब्धि
रेल मंत्री ने कहा कि 2026 तक देश में सभी रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य है और इसके समर्थन में दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन ने पहले ही 92 प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर ली है।
तीन लाइनें लंबित
दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन में केवल तीन लाइनों का विद्युतीकरण होना बाकी है। यदि घाट क्षेत्र में इन तीन लाइनों का विद्युतीकरण हो जाता है, तो क्षेत्र की रेलवे लाइन पूरी तरह से विद्युतीकृत हो जाएगी। कैसल रॉक और कोल्लम के बीच 32 किमी मार्ग, होंडाल और बागलकोट के बीच 55 किमी मार्ग तथा सकलेशपुर और सुब्रमण्य के बीच 45 किमी मार्ग पर विद्युतीकरण की आवश्यकता है।
रेलवे लाइन के विद्युतीकरण से ट्रेनों के लिए अनुमानित 32-35 लाख लीटर डीजल की बचत हो रही है, जिसकी कीमत अनुमानित 170-175 करोड़ रुपए है। मार्ग के विद्युतीकरण के चलते हुब्बल्ली और पुणे के बीच वंदे भारत ट्रेन सहित विभिन्न ट्रेनों की सेवा बढ़ाने की योजना है।
कितना विद्युतीकरण हुआ है?
अब तक दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के बेंगलूरु मंडल में लगभग 1,141.468 किलोमीटर रेलवे लाइन और लगभग 1,653.140 किलोमीटर दोहरी (डब्लिंग) रेलवे लाइन का विद्युतीकरण किया जा चुका है। हुब्बल्ली मंडल में 1,057.323 किमी रेलवे लाइन और 1,857.916 किमी दोहरी लाइनों का विद्युतीकरण किया गया है, जबकि मैसूर मंडल में 1,015.015 किमी और 1,341.565 किमी दोहरी लाइनों का विद्युतीकरण किया गया है। दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के तीनों मंडलों में 3693 किलोमीटर रेलवे लाइन में से 3,213.806 किलोमीटर का विद्युतीकरण किया जा चुका है, जबकि 5,482 किलोमीटर दोहरी लाइन में से 4,852.621 किलोमीटर का विद्युतीकरण किया जा चुका है।
विद्युतीकरण से डीजल पर निर्भरता कम होगी
रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण से डीजल पर निर्भरता कम होगी और तेल आयात में कमी आएगी। कैसल रॉक और कोल्लम के बीच रेलवे लाइन का विद्युतीकरण अप्रेल-मई तक पूरा हो जाएगा। होंडाल-बागलकोट मार्ग जून तक पूरा हो जाएगा, जबकि सकलेशपुर-सुब्रमण्य मार्ग को पूरा होने में 10 महीने से एक वर्ष तक का समय लग सकता है।
–डॉ. मंजुनाथ कनमरडी, मुख्य पीआरओ, दक्षिण पश्चिम रेलवे