रमजान माह में हर दिन 300 लोगों को सहरीरेल यात्रियों को वितरित करने के लिए भोजन के पैकेट और पानी की बोतलें लेकर आए मुनव्वर मस्जिद खिदमत टीम के सदस्य।

मुनव्वर मस्जिद खिदमत वाले टीम के कार्य की हो रही सराहना

गदग. सभी धर्मों में उपवास का महत्व है। इसी प्रकार इस्लाम में रोजे को बहुत सम्मान दिया गया है। रमजान के महीने में रोजा और जकात का विशेष स्थान है। मुसलमानों का मानना है कि रमजान के महीने में उपवास रखने और दान देने से बहुत पुण्य मिलता है।
इस सिद्धांत के आधार पर, बेटगेरी के नरसापुर आश्रय कॉलोनी में मुनव्वर मस्जिद के मौलाना ताजुद्दीन कातरकी के नेतृत्व वाली टीम ने रमजान के महीने में उपवास करने की तैयारी करने वालों, समय पर भोजन नहीं बनवा पाने वालों और यात्रा पर जाने वालों के लिए सहरी (सुबह) के दौरान नि:शुल्क, स्वच्छ भोजन तैयार करके परोसने के जरिए सभी प्रशंसा अर्जित की है।

रोजा रखने से वंचित न रह जाएं

मौलाना ताजुद्दीन कातरकी का कहना है कि ऐसे कई लोग हैं जो रमजान के महीने में रोजा रखने को तैयार हैं परन्तु कई लोगों के पास ये सुविधाएं नहीं हैं। हम उनकी मदद इस उद्देश्य से कर रहे हैं कि वे इस एक कारण से रोजा रखने से वंचित न रह जाएं।

छात्रों, यात्रियों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं

उन्होंने कहा कि मुसलमान रमजान के महीने में रोजा रखकर आध्यात्मिक शुद्धि के मार्ग पर चलते हैं। रोजा एक उपवास है जिसमें व्यक्ति भोजन और पानी से परहेज करता है और आत्म-शुद्धि के उद्देश्य से शारीरिक अनुशासन का अभ्यास करता है। गरीबों को अर्जित धन में जकात देना अनिवार्य है। वे रमजान के महीने में छात्रावासों में रहने वाले छात्रों और रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।

प्रतिदिन 300 लोगों को भोजन की आपूर्ति

मौलाना ने कहा कि रमजान के रोजे की शुरुआत से लेकर 20वें दिन तक, इस टीम ने प्रतिदिन 300 लोगों को भोजन आपूर्ति की है। वर्तमान रोदा समाप्त होने वाला है, और छात्रावास में रहने वाले छात्र अपनी परीक्षाएं समाप्त कर अपने गृहनगर के लिए रवाना हो रहे हैं। इसके चलते प्रतिदिन 150 से 200 लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वे प्रतिदिन रेलवे स्टेशन पर 75 से 100 पैकेट पहुंचा रहे हैं। टीम का लक्ष्य उपवास माह के अंतिम दिन रेलवे स्टेशन पर 200 पैकेट वितरित करना है।

टीम में 127 लोग

कातरकी ने कहा कि हमारी टीम में 127 लोग हैं, जिनकी उम्र 18 से 52 के बीच है। सभी धनवान नहीं है। उनमें से अधिकांश लोग प्रतिदिन काम करके अपनी जीविका चलाते हैं। हम सब मिलकर चावल, दालें, तेल और सब्जियां लाते हैं, भोजन तैयार करते हैं और जरूरतमंदों को देते हैं।

प्रतिदिन 7,000 से 17,000 खर्च

युवा शाकीर अहमद कातरकी और तौसीफ ने कहा कि प्रतिदिन भोजन तैयार करने की औसत लागत 7,000 से 17,000 के बीच है। हम स्वयं इसका समायोजन करते हैं। कम पडऩे पर अपने जैसे लोगों से मदद मांगते हैं। हम हर दिन पुलाव, फ्राइड राइस, दही खाना, कुश्का, अंड़ा करी, चिकन मसाला, मिठाई आदि अलग-अलग प्रकार का भोजन तैयार करते हैं और परोसते हैं।

आत्म-संतुष्टि के लिए कर रहे हैं काम

मुनव्वर मस्जिद और मुनव्वर ईदगाह ट्रस्ट की ओर से किए जा रहे इस कार्य में 127 लोग शामिल हैं और 20 लोगों की 5 टीमें विभिन्न कार्यों में लगी हुई हैं। खाना पकाने के लिए 20 लोगों की एक टीम को विशेष रूप से नियुक्त किया गया है। अन्य लोग पके हुए भोजन को अच्छी तरह से पैक करके जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम करते हैं। सभी टीम सदस्यों की सर्वसम्मत राय है कि यह वह काम है जो वे आत्म-संतुष्टि के लिए कर रहे हैं।

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