केडीपी बैठक में मंत्री लाड ने अधिकारियों को दिए निर्देश
हुब्बल्ली. श्रम एवं जिला प्रभारी मंत्री संतोष लाड ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि धारवाड़ जिले में 1.7 लाख महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) जॉब कार्ड धारक हैं। इनमें से 49 हजार सक्रिय और 1.21 लाख निष्क्रिय हैं। सभी विभाग (वन, बागवानी…) मिलकर कार्ययोजना बनाएं और गारंटीशुदा श्रमिकों के लिए काम का लक्ष्य हासिल करना चाहिए।
धारवाड़ के जिला पंचायत सभा भवन में आयोजित प्रगति समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए लाड ने चेतावनी दी कि मनरेगा के तहत सृजित मानव दिवसों का लक्ष्य हासिल किए बिना अगर अनुदान वापस चले जाने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। वापस की गई राशि उस अधिकारी के वेतन से वहन की जाएगी।
मंत्री लाड ने बागवानी विभाग के अधिकारी काशीनाथ भद्रण्णनवर को चेतावनी देते हुए कहा कि पिछले साल मनरेगा योजना के लक्ष्य हासिल करने में बागवानी विभाग का प्रदर्शन कमजोर रहा था। इस साल लक्ष्य हासिल न होने पर कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री लाड ने कहा कि किस मिट्टी में कौन सी फसल उगाई जानी चाहिए इस बारे में कृषि विश्वविद्यालय को जिले के किसानों को जानकारी देनी चाहिए। भूमि के मृदा परीक्षण कार्ड के बारे में किसानों को बताना चाहिए। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का ज्ञान और शोध किसानों तक पहुंचना चाहिए। अगर किसानों को जानकारी ही नहीं दी जाएगी, तो जिले में कृषि विश्वविद्यालय होने का क्या फायदा?
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की ओर से प्रदत्त योजनाओं के अंतर्गत 1300 करोड़ रुपए का अनुदान आवंटित किया गया है और 513 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। इसमें से 441 करोड़ रुपए का उपयोग किया जा चुका है। भौतिक निष्पादन 91 प्रतिशत और वित्तीय निष्पादन 86 प्रतिशत है।
जिलाधिकारी दिव्य प्रभु ने कहा कि गांवों में रोजगार गारंटी जॉब कार्ड मेले का आयोजन करना चाहिए। कार्डधारकों को कार्य की जानकारी देनी चाहिए। उन्हें कार्य में लगाना चाहिए।
जिला पंचायत के उप सचिव बी.एस. मूगनूरुमठ ने कहा कि 2025-26 के लिए मनरेगा कार्ययोजना तैयार और स्वीकृत हो चुकी है, जिससे 28 लाख मानव दिवस सृजित होंगे। अपेक्षित संख्या में कार्डधारक रोजगार गारंटी कार्यों के लिए नहीं आ रहे हैं। कई शिकायतें हैं। कुछ तकनीकी समस्याएं भी हैं।
सामाजिक वन विभाग के शिवकुमार गजरे ने कहा कि जिले में 189 किलोमीटर हरित निर्माण का लक्ष्य है। इसमें से 149 किलोमीटर का निर्माण हो चुका है और 49 किलोमीटर का निर्माण बाकी है।
कृषि विश्वविद्यालय के प्रो. बी.डी. बिरादार ने कहा कि किसानों को नियमित रूप से जानकारी दी जा रही है। फसलों के बारे में विस्तृत जानकारी तैयार करके किसानों को दी जाएगी।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मंजूनाथ अंतरवल्ली ने कहा कि बारिश से फसलों को हुए नुकसान का सर्वेक्षण किया गया है। जिले में कुल 12,977 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं। तालुकावार, नवलगुंद में 10,000 हेक्टेयर, हुब्बल्ली में 1,504, कुंदगोल में 764 और अन्निगेरी में 471 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं।
विधायक एन.एच. कोनरेड्डी ने कहा कि केवल बेन्निहल्ला और तुप्परी हल्ला के पास ही सर्वेक्षण किया गया है। नवलगुंद तालुक में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 56,000 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं। 12 गांवों में पीने के पानी को लेकर शिकायतें हैं। ग्रामीणों ने कहा है कि पानी पीने लायक नहीं है।
ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग के इंजीनियर जगदीश पाटिल ने कहा कि पीने के पानी से संबंधित शिकायतों का समाधान किया गया है। 467 शुद्ध पेयजल इकाइयों (आरओ) में से 112 काम नहीं कर रही हैं।
बैठक में विधान परिषद सदस्य प्रदीप शेट्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भुवनेश पाटिल, एनडब्ल्यूकेआरटीसी की प्रबंध निदेशक प्रियांगा एम. और नगर निगम आयुक्त रुद्रेश घाली उपस्थित थे।
शून्य नामांकन; स्कूलों को नोटिस
डीडीपीआई एस.एस. केलदिमठ ने कहा कि जिले में 20 शून्य नामांकन वाले स्कूल हैं। इन स्कूलों को नोटिस दिए गए हैं। पिछले वर्ष कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों की संख्या 3.41 लाख थी। वर्ष 2025-26 में 3.13 लाख छात्र हैं। नामांकन प्रक्रिया जुलाई के अंत तक जारी रहेगी।
लाड ने निर्देश दिया कि शून्य नामांकन वाले स्कूलों के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में नियुक्त करने की कार्रवाई करनी चाहिए। छात्रों की संख्या में कमी का कारण जानने के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए।
उर्वरक उपलब्ध नहीं
विधायक कोनरेड्डी ने कहा कि हेब्बाल, शिरूर, बल्लूर, हलकुसुगल आदि गांवों के किसान शिकायत कर रहे हैं कि उर्वरक उपलब्ध नहीं हो रहा है। उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। हमारे फोन करने के बावजूद, उर्वरक उपलब्ध नहीं कराया गया है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मंजूनाथ अंतरवल्ली ने कहा कि यूरिया उर्वरक की अत्यधिक मांग है। जुलाई के अंत तक जिले की मांग 17 हजार मीट्रिक टन थी। अब तक 21 हजार मीट्रिक टन की आपूर्ति की जा चुकी है। नैनो यूरिया उपलब्ध है और किसानों को इस उर्वरक के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में जल्द ही और उर्वरक की आपूर्ति की जाएगी।