न्यायाधीश के.जी. शांति दी सलाह
बल्लारी. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष के.जी. शांति ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए न केवल कानून बनाए जाने चाहिए, बल्कि उनके विकास के लिए एक अच्छा वातावरण भी प्रदान करना चाहिए।
वे शनिवार को बल्लारी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रीड्स संस्थान, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और वन विभाग की ओर से आयोजित समारोह का उद्घाटन और “बाल संरक्षण कानून” पुस्तक के विमोचन समारोह में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि गरीबी और शिक्षा का अभाव बाल श्रम, भीख मांगने, मानव तस्करी, बाल विवाह और पॉक्सो जैसे अपराधों के बढऩे का मुख्य कारण हैं। स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के बाद बाल विवाह और पॉक्सो कानूनों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। हर बच्चे के लिए एक पेड़-हर स्कूल के लिए एक जंगल अभियान के तहत स्कूलों में लगाए गए पेड़ों की देखभाल की जिम्मेदारी बच्चों को देनी चाहिए।
समारोह की अध्यक्षता कर जिलाधिकारी प्रशांतकुमार मिश्रा ने कहा कि कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में बच्चों के शैक्षिक विकास पर अधिक जोर देना आवश्यक है। सभी को बाल संरक्षण से संबंधित कानूनों की जानकारी होनी चाहिए और दूसरों को भी उनके बारे में जानकारी देनी चाहिए।
रीड इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक सी. तिप्पेशप्पा ने प्रास्ताविक भाषण दिया।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. एच.सी. राघवेंद्र ने पुस्तक का परिचय दिया। हम्पी कन्नड़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. जनार्दन ने कार्यशाला का संचालन किया।
इससे पहले, गणमान्य व्यक्तियों ने न्यायालय परिसर में पौधे रोपे और उन्हें पानी पिलाया। उन्होंने कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजेश एन. होसमनी, सहायक वन संरक्षण अधिकारी तोषनकुमार, जिला न्यायालय के विभिन्न न्यायाधीश एवं अन्य उपस्थित थे।