सूफी-संत सम्मेलन में दिया शांति और सद्भाव का संदेश
हुब्बल्ली. लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली ने कहा कि समान शिक्षा, अधिकार और अवसर मिलने पर ही आजादी सार्थक होगी। जब हिंदू और मुसलमान मिलकर लड़ेंगे, तभी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
वे शनिवार शाम को पुरानी हुब्बल्ली के ईदगाह मैदान में सूफी संत सद्भाव मंच की ओर से आयोजित सूफी संत सम्मेलन में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए सभी समुदायों ने संघर्ष किया। इसलिए हम सभी को एक मां की संतान की तरह रहना चाहिए। समाज में एकता, सद्भाव बना रहना चाहिए। अंबेडकर और बसवेश्वर के अनुयायियों को एकजुट होना चाहिए।
जारकीहोली ने कहा कि अंबेडकर के विचारों में सभी समस्याओं का समाधान है। मुसलमान अंबेडकर और बसव जयंती में भाग लेंगे, तो हम भी आपके कार्यक्रमों में भाग लेंगे। नए विचारों पर एक ही मंच पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सूफी संतों ने एक संगठित समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सही दिशा में आगे बढऩे के लिए उनका मार्गदर्शन आवश्यक है। सभी को एकजुट करने वाले ऐसे सम्मेलन राज्य के सभी जिलों में आयोजित किए जाने चाहिए।
उन्होंने सलाह दी कि वक्फ बोर्ड ने अल्पसंख्यकों के लिए विकास कार्यक्रम आयोजित किए हैं। 4,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिनका सदुपयोग करना चाहिए। बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए, उन्हें डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहिए।
विधान परिषद के मुख्य सचेतक सलीम अहमद ने प्रास्ताविक भाषण देते हुए कहा कि देश के विकास के लिए सांप्रदायिक सद्भाव आवश्यक है। सभी को प्रेम से जीतना चाहिए। इस सम्मेलन का संदेश नफरत को पीछे छोडऩा है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के कई सूफी संतों ने सांप्रदायिक सद्भाव स्थापित करने में विशेष योगदान दिया है। उन्होंने यह संदेश फैलाया है कि हम सब एक हैं। इसका पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। यह सभी धर्मगुरुओं का सम्मेलन है। शांति बनाए रखने के लिए ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा कि अंग्रेजों ने समाज में जातिवाद का बीज बोया है। इसे जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। सत्ता के लिए कोई भी कुछ भी कह सकता है। ऐसे सम्मेलन का इस्तेमाल उन पर नियंत्रण रखने के लिए करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जन्म के बाद जब लोग मानवता के साथ व्यवहार करते हैं, तभी कोई सूफी या संत बनता है। यह सत्ता के लिए सम्मेलन नहीं है। सरकार सभी जातियों और धर्मों के पक्ष में है।
नवलगुंद विधायक एन.एच. कोनरेड्डी ने कहा कि सिद्धारूढ़ स्वामी जिस धरती पर चले वहां हिंदू और मुसलमान सद्भाव से रह रहे हैं। कोई भी इस एकता को नहीं तोड़ सकता।
धर्मों के बीच लड़ाई बंद हो
शिरहट्टी भावैक्य पीठ के फकीर दिंगालेश्वर स्वामी ने कहा कि जाति-धर्म हमारे घरों की दहलीज के भीतर होना चाहिए। जब हम घर से बाहर निकलें, तो हम सभी को भारत के पुत्रों की तरह रहना चाहिए। सूफियों ने कहा है कि जब तक राष्ट्रीय धर्म का पालन नहीं किया जाता, तब तक देश में शांति नहीं हो सकती। धर्मों के बीच लड़ाई बंद होनी चाहिए। एकता होनी चाहिए कि सभी मनुष्य एक हैं।
उन्होंने कहा कि अगर देश में सूफी संत बसवादी शरण न होते, तो नदियों में पानी की जगह खून बह रहा होता। उन्होंने एकता का संदेश दिया है। सूफी संतों ने सभी धर्मों के बीच एक कड़ी का काम किया है। फकीरेश्वर ने पांच शताब्दी पहले नफरत छोडक़र दूसरों से प्रेम करने का संदेश दिया था। हुब्बल्ली में मूजगम स्वामी ने हिंदू-मुस्लिम सद्भाव में योगदान दिया है।
सवनूर दोड्डहुणसे कल्मठ के चन्नबसव स्वामी सहित कई इस्लामी धर्म गुरुओं के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री रहीम खान, विधायक यासिर अहमद खान पठान, हुडा अध्यक्ष शाकिर सनदी, कांग्रेस नेता जी.एस. पाटिल, अनिल कुमार पाटिल, इमरान यलिगार, अल्ताफ कित्तूर, राज्यसभा सदस्य नासिर हुसैन, पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन, पुलिस आयुक्त एन. शशिकुमार आदि उपस्थित थे।