सरकारी स्कूलों में शुरू द्विभाषी शिक्षासांदॢभक फोटो

संसाधनों की कमी से जूझते छात्र

किताबें अधूरी, शिक्षक नदारद, स्कूलों पर बढ़ा बोझ

उडुपी/दक्षिण कन्नड़. राज्य सरकार ने इस शैक्षणिक वर्ष से सरकारी स्कूलों में कन्नड़ सहित अन्य माध्यमों के साथ अंग्रेज़ी माध्यम में भी पढ़ाई की अनुमति तो दे दी है, पर्याप्त पाठ्यपुस्तक और शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होने से हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।

उडुपी जिले की 70 और दक्षिण कन्नड़ जिले की 115 स्कूलों सहित राज्य के कुल 4,134 सरकारी स्कूलों में द्विभाषी (कन्नड़/अन्य भाषा + अंग्रेजी) शिक्षा शुरू करने का आदेश जारी किया गया है। कुछ स्कूलों ने पढ़ाई भी शुरू कर दी है, परन्तु सरकार की ओर से न तो अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं और न ही अन्य संसाधन। केवल पाठ्यपुस्तकें देने की बात कही गई है।

पाठ्यपुस्तक आपूर्ति में देरी

शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद आदेश जारी होने के चलते सरकार ने डीडीपीआई कार्यालयों से मांग जुटाकर 1.20 लाख द्विभाषी किताबें छापी हैं। कुछ जिलों में किताबें पहुंच चुकी हैं, परन्तु कई स्कूलों को अब भी इंतजार है।

शिक्षकों की भारी कमी

सरकारी स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। कुल 618 स्वीकृत पदों में से केवल 194 ही कार्यरत हैं और शेष 424 खाली हैं। द्विभाषी पढ़ाई के लिए अतिरिक्त अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की मांग लगातार उठ रही है। कुछ स्कूलों में स्थानीय संगठनों और पूर्व छात्रों के सहयोग से शिक्षक रखे गए हैं, परन्तु यह हर जगह संभव नहीं है।

कन्नड़ माध्यम बना रहेगा

सरकार ने स्पष्ट किया है कि अंग्रेजी माध्यम की अनुमति देने के बावजूद कन्नड़ या अन्य भाषाई माध्यम को बंद नहीं किया जाएगा। किताबें दोनों माध्यमों में उपलब्ध कराई जाएंगी। केवल अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाना अनिवार्य नहीं है।

किताबों की छपाई की है

प्राप्त मांग के आधार पर द्विभाषी किताबों की छपाई की गई है। जिन स्कूलों ने अभी द्विभाषी शिक्षा शुरू नहीं की है, उन्हें किताबें इस साल देर से मिलेंगी।
माधेगौड़ा एम.पी., प्रबंध निदेशक, कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संघ

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