हुब्बल्ली. वीरशैव और लिंगायत दोनों एक ही हैं- इस विषय पर समाज में जागरूकता लाने के लिए आगामी 19 सितंबर को हुब्बल्ली में वीरशैव-लिंगायत एकता सम्मेलन आयोजित किया गया है।
इस बारे में जानकारी देते हुए शिरहट्टी स्थित फकीरश्वर मठ के दिंगालेश्वर स्वामी ने कहा कि अलग लिंगायत धर्म की मांग का हम स्पष्ट विरोध करते हैं। सम्मेलन में इस बारे में जनजागरूकता पैदा करेंगे। आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना तथा कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से मठाधीश इसमें भाग लेंगे।
जनगणना में उल्लेख की मांग
स्वामी ने कहा कि सरकार की ओर से की जा रही जातिवार जनगणना में ‘लिंगायत-वीरशैव’ ही दर्ज करना चाहिए। कुछ लोग बसवन्ना के नाम का दुरुपयोग करके समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे किसी भी हाल में सफल नहीं होने देंगे।
‘पीठ त्याग करें’ – दिंगालेश्वर स्वामी की चुनौती
उन्होंने ‘बसव संस्कृति यात्रा’ का विरोध करते हुए कहा कि यह दल समाज को भ्रमित कर रहा है। पहले वे अलग लिंगायत धर्म की बात कर रहे थे, अब बसव धर्म कह रहे हैं। उनमें प्रतिबद्धता की कमी है। उनके आसपास के बुद्धिजीवी कह रहे हैं कि यह मठ संस्कृति नहीं, बसव संस्कृति है। अगर ऐसा है तो स्वामीजियों को चाहिए कि वे पीठ त्याग करें।
संवाददाता सम्मेलन में महाराष्ट्र के ब्रह्मलिंगेश्वर मठ के श्रीकंठ शिवाचार्य स्वामी, प्रभु सारंगधर शिवाचार्य स्वामी, मुक्तिमंदिर स्वामी, हावेरी हुक्केरीमठ स्वामी, उप्पिनबेटगेरी मठ स्वामी और जयशांत लिंगेश्वर स्वामी उपस्थित थे।
