हुब्बल्ली. शिरहट्टी फकीरेश्वर पीठ के फकीर दिंगालेश्वर स्वामी ने साणेहल्ली श्री (मठ प्रमुख) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जाति जनगणना का मुद्दा उठने के बाद से वे वीरशैव-लिंगायत समाज में भ्रम फैला रहे हैं।
शहर में शनिवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दिंगालेश्वर स्वामी ने कहा कि हाल ही में कलबुर्गी में साणेहल्ली श्री ने टिप्पणी की थी कि “जंगम अविवेकी हैं”। उन्होंने प्रश्न उठाया कि बसवन्ना ने किस वचन में जाति का अपमान करने की बात कही है?
स्वामी ने कहा कि राज्य के सभी मठाधीश समाज को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, परन्तु इसके विपरीत साणेहल्ली श्री विभाजनकारी बातें कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि धारवाड़ में आयोजित बसव संस्कृति अभियान में हमारे वस्त्रों का उपहास उड़ाया गया। हमने मठ की परंपरा के अनुसार केसरिया पगड़ी, सफेद वस्त्र और हरे शाल धारण किए हैं, जो राष्ट्रध्वज के प्रतीक हैं। मैं 14वां पीठाधिपति हूं और यह पोशाक मेरी इच्छा से नहीं, बल्कि परंपरा अनुसार पहनी जाती है।
स्वामी ने स्पष्ट किया कि उनका सिरीगेरी पीठ के प्रति गहरा सम्मान है और वे उसे अपना आदर्श मानते हैं। वीरशैव-लिंगायत सिध्दांत पर सिरीगेरी पीठ ने हमेशा अच्छे विचार प्रस्तुत किए हैं, परन्तु अब उन्हें अपने मूल सिद्धांतों पर चलना चाहिए।
उन्होंने साणेहल्ली श्री से सवाल किया कि भविष्य में उनके पीठ पर किस जाति के वटु को पीठाधिपति (मठ प्रमुख) बनाया जाएगा, यह सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
फकीर दिंगालेश्वर स्वामी ने कहा कि बसव संस्कृति अभियान में शामिल सभी स्वामियों को महावीर, बुद्ध की तरह बसव धर्म को मजबूत करना चाहिए, न कि अखंड वीरशैव-लिंगायत समाज को विभाजित करना।
संवाददाता सम्मेलन में मल्लिकार्जुन सवुकार, प्रकाश बेन्डिगेरी, मल्लिकार्जुन शिरगुप्पी और शंभु लक्ष्मेश्वर मठ आदि मौजूद थे।
