कन्नड़ अस्मिता को सशक्त करने का आह्वान
नई पीढ़ी को मूल्यों से जोडऩे की आवश्यकता
हुब्बल्ली. कर्नाटक विद्यावर्धक संघ के महासचिव शंकर हलगत्ती ने कहा कि आज के समय में राज्य के एकीकरण के मूल आदर्शों पर पुन: विचार करना अत्यंत आवश्यक है।
वे धारवाड़ के आलूर वेंकटराव सांस्कृतिक भवन में आयोजित कर्नाटक एकीकरण विशेष व्याख्यान कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि समाज में जागरूकता फैलाना, नई पीढ़ी को एकीकरण के मूल्यों से परिचित कराना और जाति उन्मूलन के लिए प्रयास करना समय की मांग है। हर कन्नडिग़ा को कन्नड़ भाषा के संरक्षण और संवर्धन की व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीनिवास वाडप्पी ने कर्नाटक एकीकरण के इतिहास पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ. वीणा बिरादार ने एकीकरण आंदोलन में महिलाओं की भूमिका पर विशेष व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ट्रस्ट अध्यक्ष रमजान दरगा ने कहा कि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता और शिक्षकों की योग्यता को लेकर अभिभावकों में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। आलूर वेंकटराव का आंदोलन केवल सीमाओं के विलय तक सीमित नहीं था, बल्कि यह कन्नड़ अस्मिता को ऊंचाई देने का प्रयास था।
इस अवसर पर कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग के सहायक निदेशक कुमार बेक्केरी ने स्वागत भाषण दिया। रवी कुलकर्णी ने संचालन कर आभार व्यक्त किया।
मंच पर डॉ. दीपक आलूर, द्रौपदी बीजापुर, बसवराज सुळीभावी और सुनंदा कडमे उपस्थित थे। कार्यक्रम में छात्रों, आम नागरिकों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया था।
