हुडा ने मुख्यमंत्री को भेजा प्रस्ताव
10 से 30 वर्षों से बसे परिवारों को कानूनी सुरक्षा देने की तैयारी
व्यापक सर्वेक्षण का आदेश
हुब्बल्ली. हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर में अवैध बस्तियों का संकट अब सामाजिक और कानूनी चुनौती बन चुका है। हजारों परिवार वर्षों से इन बस्तियों में निवास कर रहे हैं, लेकिन कानूनी पंजीकरण और संपत्ति सुरक्षा के अभाव में वे लगातार असमंजस और भय में जी रहे हैं।
हुब्बल्ली-धारवाड़ की अवैध बस्तियां अब केवल शहरी नियोजन की चुनौती नहीं, बल्कि हजारों परिवारों के भविष्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन चुकी हैं। हुडा की पहल से उम्मीद है कि जल्द ही राज्य सरकार इस दिशा में ठोस नीति बनाकर इन निवासियों को राहत प्रदान करेगी।
हुडा की पहल
हुब्बल्ली-धारवाड़ शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए इन बस्तियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की है। अध्यक्ष शाकीर सनदी ने योजना, तकनीकी और कानूनी विभागों को निर्देश दिए हैं कि पिछले 10-30 वर्षों में विकसित सभी अवैध बस्तियों का व्यापक सर्वेक्षण किया जाए।
इस सर्वेक्षण में निम्न जानकारियां शामिल होंगी
बस्ती का नाम और स्थान, डेवलपर्स का विवरण, अनुमोदित योजनाओं की प्रतियां, सडक़, नालियों और अन्य सुविधाओं की स्थिति (फोटो सहित), घरों और खरीदारों की जानकारी, उल्लंघन का प्रकार और पैमाना, विकास कार्य की अनुमानित लागत, यदि कोई मामला न्यायालय में लंबित है, तो उसका विवरण। यह जानकारी 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
समस्या की जड़
कई भूखंड वर्षों तक बंजर पड़े रहे, जिन्हें किसानों ने बॉन्ड पेपर या नोटरी दस्तावेज के माध्यम से बेचा। पंजीकरण न होने के कारण ये सौदे कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं। डेवलपर्स ने इन भूखंडों पर आवासीय योजनाएं बनाकर बेच दीं, और निवासियों ने स्वयं बुनियादी सुविधाएं विकसित कीं। अब मूल मालिकों के उत्तराधिकारी इन संपत्तियों पर दावा कर रहे हैं और भारी रकम की मांग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री को पत्र
हुडा अध्यक्ष शाकीर सनदी ने बताया कि हम मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को पत्र भेजेंगे ताकि राज्य स्तर पर समग्र नीति बनाकर इन बस्तियों को नियमित किया जा सके। गरीब और मध्यम वर्ग के निवासियों को उनके घर की कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए।
